त्रिपुरा को ‘मत्स्य अधिशेष राज्य’ बनाने का आह्वान, ₹42.4 करोड़ की एकीकृत एक्वापार्क परियोजना की आधारशिला रखी गई
केंद्र और राज्य के मंत्रियों की उपस्थिति में हुआ आयोजन, मत्स्य महोत्सव और प्रदर्शनी ने बढ़ाया उत्साह
अगरतला- केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने त्रिपुरा के कैलाशहर में ₹42.4 करोड़ की लागत से बनने वाले एकीकृत एक्वापार्क (Integrated Aquapark) की आधारशिला रखी। यह परियोजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत विकसित की जा रही है। कार्यक्रम का आयोजन अगरतला में हुआ, जहां एक भव्य प्रदर्शनी एवं ‘फिश फेस्टिवल’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें राज्य की समृद्ध मत्स्य संस्कृति और जैव विविधता को प्रदर्शित किया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन (मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय), त्रिपुरा सरकार के मत्स्य मंत्री सुधांशु दास, खेल एवं युवा मामलों के मंत्री टिंकू रॉय और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
राज्य में मत्स्य उत्पादन को लेकर बड़े लक्ष्य
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है, जिसकी वृद्धि दर 2014-15 से अब तक 9.08% रही है — जो कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में सबसे अधिक है। उन्होंने बताया कि देश में बन रहे 11 एकीकृत एक्वापार्क में से 4 पूर्वोत्तर में स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें त्रिपुरा भी शामिल है।
उन्होंने त्रिपुरा को ‘मत्स्य अधिशेष राज्य’ बनाने का आह्वान किया, जिससे न केवल राज्य की आवश्यकताएं पूरी हों, बल्कि राज्य से मत्स्य निर्यात भी संभव हो सके। उन्होंने 1.5 लाख टन की वर्तमान मांग के मुकाबले 2 लाख टन मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य तय करने की बात कही। साथ ही, राज्य को सिक्किम की तर्ज पर ऑर्गेनिक फिश क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना की जानकारी दी।
तकनीक, प्रशिक्षण और नवाचार पर बल
सिंह ने परियोजना को समयबद्ध रूप से पूरा करने की आवश्यकता जताई और मत्स्य किसानों को संस्थागत प्रशिक्षण देने पर जोर दिया। उन्होंने FIDF और PMMSY जैसी योजनाओं का लाभ उठाने और NFDB द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की। साथ ही, स्कैम्पी उत्पादन, सजावटी मत्स्य पालन, बाजार पहुंच, और सतत विकास जैसे विषयों पर ध्यान देने की जरूरत बताई।
राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
राज्य के मत्स्य मंत्री सुधांशु दास ने बताया कि मछुआरों और मत्स्य किसानों को ‘मत्स्य सहायता योजना’ के तहत ₹6,000 की वार्षिक सहायता दी जा रही है। उन्होंने युवाओं से मत्स्य क्षेत्र को रोजगार का माध्यम बनाने की अपील की।
खेल एवं युवा मामलों के मंत्री टिंकू रॉय ने साझा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि मत्स्य क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
नीति, निवेश और नवाचार
केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने PMMSY, FIDF और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PMMKSSY) सहित मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देशभर में इन योजनाओं के तहत ₹38,000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है, जिनमें से ₹2,114 करोड़ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए और ₹319 करोड़ त्रिपुरा के लिए स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने मत्स्य किसानों को RAS, बायोफ्लॉक, ड्रोन-आधारित तकनीकें अपनाने और बीमा सुरक्षा का लाभ लेने की सलाह दी।
त्रिपुरा में मत्स्य क्षेत्र की स्थिति
त्रिपुरा में मत्स्य उपभोग प्रति व्यक्ति 29 किलोग्राम प्रतिवर्ष से अधिक है। पिछले पांच वर्षों में राज्य ने ₹258.61 करोड़ के 69 परियोजनाओं को लागू किया है। नई एक्वापार्क परियोजना 100 लोगों को प्रत्यक्ष और 500 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार देगी और राज्य के मत्स्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी।
लाभार्थियों को सम्मानित किया गया
इस अवसर पर मत्स्य किसानों को प्रमाणपत्र और स्वीकृति पत्र वितरित किए गए। प्रमुख लाभार्थियों में शामिल हैं:
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किसान क्रेडिट कार्ड: देवाशीष सरकार (मोहनपुर), भजन सरकार (बामुटिया), सुश्री परमिता बिस्वास भौमिक (सचंद), सुधर्षन चक्रवर्ती (दुकली), निर्मल दास (दुकली)।
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फेलिसिटेशन: मछली आधारित स्टार्टअप जैसे M/s Barkuchuk Fermented Fish Enterprise (खोवाई), M/s Jal Raja Fish Feed Factory (दुकली)।
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FFPOs: Bordosh FFPO (बेलोनिया), Dhalai Fish Farmer Co-operative Society Ltd. (अम्बासा)।
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सर्वश्रेष्ठ मत्स्य सहकारी समितियाँ: मेलाघर मत्स्यजीवी समिति (सिपाहीजला) और जातीय मत्स्यजीवी समिति (कुशमारा, गोमती)।
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PMMSY के तहत लाभार्थी: तपन बर्मन (सिपाहीजला), परितोष देबबर्मा (जिरानिया), बिस्वजीत दास (जिरानिया), सुश्री अंजलि रानी दास (सिपाहीजला) — इन सभी को फिनफिश हैचरी, 3-व्हीलर आइस बॉक्स व फिश कियोस्क प्रदान किए गए।
यह आयोजन त्रिपुरा के मत्स्य क्षेत्र में विकास, नवाचार और रोजगार सृजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।