खारे पानी में भी अब फसलें होंगी लहलहाती – “पूसा की नई तकनीक”

 डिजिटल तकनीकों का उपयोग और प्राकृतिक खेती पर जोर

नई दिल्ली, “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत दिल्ली क्षेत्र में कार्यक्रम का 12वां दिन कंझावला ब्लॉक के टटेसर एवं घेवरा गांव में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस अभियान का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, पूसा (IARI), नई दिल्ली और कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ

कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. डी. के. राणा ने किया। उन्होंने बताया कि “लैब टू लैंड” विजन के अंतर्गत वैज्ञानिक तकनीकों को सीधे खेतों तक पहुंचाने में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि किसान अब स्वयं इन तकनीकों को समझ रहे हैं और उनका उत्साह यह दर्शाता है कि यह अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है।

कार्यक्रम में योगेंद्र चिकारा, प्रसार अधिकारी, उत्तर पश्चिम जिला, दिल्ली सरकार ने प्राकृतिक खेती, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और दिल्ली में चल रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने सभी किसानों से आग्रह किया कि इस जानकारी को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाएं।

कार्यक्रम में IARI, पूसा की प्रधान वैज्ञानिक

डॉ. रविंद्र कौर ने लवणीय मिट्टी और जल के सुधार हेतु पूसा द्वारा विकसित उन्नत तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जलीय पौधों के माध्यम से ड्रेन के गंदे पानी का उपचार कर उसे शुद्ध बनाकर कृषि में उपयोग किया जा सकता है। साथ ही जिप्सम के प्रयोग से लवणीय मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है। डॉ. कौर ने यह भी जोर दिया कि किसानों को मिट्टी और जल की जांच कराकर ही उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना चाहिए।

डॉ. समर पाल सिंह..

खारे पानी और लवणीय मिट्टी की चुनौतियों का समाधान करते हुए फसलों जैसे पालक, जौ और सरसों की प्रजातियों की जानकारी दी, जो ऐसे वातावरण में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने पर विशेष बल दिया, जिससे जैविक घटकों और सूक्ष्म जीवों की मदद से खारेपन की समस्या को कम किया जा सकता है।

बागवानी विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार

बागों की स्थापना, मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई, और विदेशी सब्जियों की खेती जैसी आधुनिक तकनीकों की जानकारी साझा की। उन्होंने कम समय में अधिक आय देने वाली फसलों पर भी प्रकाश डाला।

कैलाश, कृषि प्रसार विशेषज्ञ ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी

(ICT) के प्रभावी उपयोग पर जानकारी दी और बताया कि डिजिटल कृषि के माध्यम से किसान वैज्ञानिक जानकारी तक समय पर पहुंच सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के वैज्ञानिकों

खरीफ सीजन की फसलों के लिए उन्नत तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार संतुलित उर्वरक प्रयोग, हरित खाद का उपयोग, पशुपालन, बागवानी और रोग प्रबंधन से संबंधित विषयों पर व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया।

कार्यक्रम के अंत में किसानों के लिए प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें उनकी समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान एवं अमूल्य सुझाव प्रदान किए गए।

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