“किसानों को भविष्य की खेती के लिए तैयार करना समय की मांग”

विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025: किसानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की नई पहल

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर देशभर के वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों, अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में एक “ऐतिहासिक पहल” करार दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले 12 से 15 दिनों के भीतर वैज्ञानिकों, अधिकारियों और किसानों से बनी करीब 2000 टीमें देश के 700 से अधिक जिलों का दौरा करेंगी और लाखों किसानों से सीधा संवाद स्थापित करेंगी। इन दौरों का उद्देश्य किसानों को खरीफ सीजन से पहले उन्नत कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक शोध की जानकारी देना है, ताकि उनकी उपज और आय में वृद्धि हो सके।

प्रधानमंत्री ने किसानों, विशेषज्ञों और अधिकारियों को इस अभियान के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा, “यह अभियान कृषि विकास को मजबूती देने की दिशा में एक व्यापक प्रयास है, जो किसानों को भविष्य की खेती के लिए तैयार करेगा।”

राज्यों की भूमिका और कृषि क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता पर बल

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात को रेखांकित किया कि कृषि पारंपरिक रूप से राज्यों का विषय है, लेकिन तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में इसमें समन्वित और समग्र बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भारतीय किसानों ने पिछले वर्षों में रिकॉर्ड उत्पादन किया है, अनाज के भंडार भरे हैं, लेकिन आज बाजार की माँग और उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं तेजी से बदल रही हैं।”

उन्होंने राज्यों और किसानों के सहयोग से कृषि प्रणालियों में आधुनिक सुधारों को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि खेती को केवल पारंपरिक तरीके से न देखा जाए, बल्कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार को इसका अभिन्न हिस्सा बनाया जाए।

प्रयोगशालाओं से खेतों तक पहुंचेगा ज्ञान

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत वैज्ञानिक दल प्रयोगशालाओं से निकलकर खेतों तक जाएंगे। ये टीमें किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों, डेटा आधारित खेती, और मौसम-पूर्वानुमान आधारित निर्णय प्रणाली के बारे में जानकारी देंगी।

उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल ज्ञान का प्रसार करेगा, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक सोच और नई तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा भी देगा। “यह एक ऐसा प्रयास है जो किसानों को खेती के पारंपरिक ढांचे से बाहर निकालकर उन्हें 21वीं सदी की वैज्ञानिक कृषि की ओर ले जाएगा,

विज्ञान, नवाचार और किसानों की साझेदारी

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण शोध किए हैं, जिनके कारण खेती के परिणामों में सुधार आया है। उन्होंने उन प्रगतिशील किसानों की भी सराहना की, जिन्होंने इन तकनीकों को अपनाकर शानदार पैदावार प्राप्त की है।

उन्होंने कहा कि अब आवश्यकता है कि इन वैज्ञानिक उपलब्धियों को हर किसान तक पहुंचाया जाए। “हमारे पास ज्ञान की कमी नहीं है, लेकिन अब उस ज्ञान को तेजी से प्रसारित करने और उसे जमीन तक उतारने की जरूरत है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ इस दिशा में एक अहम कड़ी है,” प्रधानमंत्री ने कहा।

वैश्विक खाद्य आपूर्ति में भारत की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की बढ़ती वैश्विक जिम्मेदारियों की ओर संकेत करते हुए कहा, “भारत को न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी है, बल्कि वैश्विक खाद्य आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभरना है।” उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटते हुए न्यूनतम जल उपयोग, मिट्टी की सेहत की रक्षा और हानिकारक रसायनों के उपयोग को घटाकर टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना अनिवार्य हो गया है।

उन्होंने बताया कि पिछले 10–11 वर्षों में केंद्र सरकार ने कृषि के विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिंचाई, उर्वरक, जैविक खेती, डिजिटल एग्रीकल्चर, और किसान क्रेडिट जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रयास किए हैं।

कृषि से आय के नए स्रोतों की खोज

प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए आय के वैकल्पिक स्रोतों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि खेतों की सीमाओं पर सौर पैनल लगाकर अतिरिक्त राजस्व प्राप्त किया जा सकता है। मधुमक्खी पालन (मीठी क्रांति) और कृषि अपशिष्ट प्रबंधन जैसे उपायों को भी किसानों की आय बढ़ाने में उपयोगी बताया।

उन्होंने गोबरधन योजना के माध्यम से गाय-भैंस जैसे मवेशियों से निकलने वाले अपशिष्ट को ऊर्जा में बदलने के प्रयासों का उल्लेख किया और कहा कि “अब दूध न देने वाले मवेशी भी अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती को बढ़ावा देने की बात कही और कहा कि किसानों को उत्पादों में मूल्य संवर्धन के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए।

कृषकों और वैज्ञानिकों से विशेष अपील

प्रधानमंत्री ने इस अभियान में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों और अधिकारियों से कहा कि वे इसे महज एक सरकारी ड्यूटी न समझें, बल्कि इसे “राष्ट्रीय सेवा का मिशन” मानें। उन्होंने वैज्ञानिकों से किसानों के हर सवाल का गंभीरता से उत्तर देने और उनके सुझावों को ध्यानपूर्वक दर्ज करने का आग्रह किया।

साथ ही उन्होंने किसानों से भी अनुरोध किया कि वे इन दलों से खुलकर संवाद करें, जिज्ञासा दिखाएं और आधुनिक कृषि ज्ञान को अपनाने में सक्रिय भागीदारी करें।

अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, “विकसित कृषि संकल्प अभियान भारत के किसानों के लिए नए रास्ते खोलेगा और देश की कृषि को सशक्त, आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।” उन्होंने अभियान की सफलता की कामना करते हुए सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।

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