मुजफ्फरपुर: लीची की मिठास अब विदेशों में

बिहार से यूएई रवाना हुई शाही लीची की पहली खेप | एपीडा का बड़ा कदम

भारत सरकार के अधीन कार्यरत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने  इस मौसम की पहली भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त शाही लीची की खेप को मुजफ्फरपुर, बिहार से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के लिए रवाना किया।

इस 5 मीट्रिक टन की लीची खेप को लखनऊ एयरपोर्ट के माध्यम से भेजा गया, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली, पूर्णतः ट्रैसेबल और निर्यात के लिए उपयुक्त शाही लीची शामिल थी। यह खेप बिहार की प्रसिद्ध कृषि विरासत का प्रतीक मानी जा रही है।

पटना में हुई बायर-सेलर मीट का मिला सीधा लाभ

यह ऐतिहासिक शिपमेंट 19-20 मई को पटना में आयोजित बायर-सेलर मीट का प्रत्यक्ष परिणाम है। इस कार्यक्रम में भारत और विदेशों के विभिन्न खरीदारों, निर्यातकों, कृषि उत्पादकों एवं सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। मीट का उद्देश्य भारत के कृषि उत्पादों, विशेषकर GI टैग प्राप्त उत्पादों, को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुँचाना था।

मुजफ्फरपुर की शाही लीची, जिसकी मिठास, सुगंध और रस के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग है, इस पहल का प्रमुख केंद्र रही। APEDA ने स्थानीय किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और निर्यातकों के बीच समन्वय स्थापित कर इस खेप की योजना को साकार किया।

शाही लीची: बिहार की शान और वैश्विक ब्रांड

शाही लीची को वर्ष 2018 में भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा मिला था। यह लीची विशेष रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में पाई जाती है। इसकी अद्वितीय मिठास, पतली छिलकी और सुगंध इसे बाकी किस्मों से अलग बनाती है।

एपीडा का यह प्रयास न केवल भारत के GI उत्पादों के लिए नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों के द्वार खोलता है, बल्कि यह किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने और उनकी आजीविका सुधारने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

भारत के GI उत्पादों की ग्लोबल स्तर पर लोकप्रियता बढ़ रही है। हमारी प्राथमिकता ट्रैसेबिलिटी, गुणवत्ता और वैश्विक मानकों के अनुसार निर्यात को बढ़ावा देना है। शाही लीची के इस शिपमेंट के ज़रिए हम यह दिखा रहे हैं कि स्थानीय उत्पाद भी वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”

किसानों और बिहार सरकार के सहयोग की सराहना

इस सफल शिपमेंट के लिए एपीडा ने बिहार सरकार, कृषि विभाग, कृषक उत्पादक संगठनों, और निजी निर्यातकों का आभार व्यक्त किया। इस पहल से हजारों लीची किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।

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