सहकारिता को नया जीवन: 4 साल में 60 पहलें, अमूल की नई उड़ान

सहकारिता मंत्रालय के चार साल पूरे, अमित शाह का बड़ा ऐलान

✅ सहकारिता मंत्रालय के 4 साल: अमित शाह ने अमूल के नए प्रोजेक्ट्स का किया शुभारंभ

📌 आणंद (गुजरात), केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में आयोजित एक भव्य समारोह में सहकारिता मंत्रालय के 4 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देशवासियों को संबोधित किया। यह कार्यक्रम सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती वर्ष के सम्मान में आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर शाह ने कहा कि “सहकारिता हमारे समाज की आत्मा है। यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है, जो वैदिक काल से चली आ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस परंपरा को नया जीवन देते हुए 2021 में पहली बार अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया, जो अपने आप में ऐतिहासिक कदम था।”

सहकारिता आंदोलन को नई दिशा

शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने बीते चार वर्षों में 5P मॉडल (People, PACS, Platform, Policy, Prosperity) पर आधारित 60 से अधिक योजनाएं और पहलें शुरू की हैं।

उन्होंने बताया कि—

  • People – यानी आम जनता को योजनाओं का केंद्र बनाया गया है।

  • PACS – देशभर की प्राथमिक सहकारी समितियों को सशक्त किया जा रहा है।

  • Platform – सहकारिता से जुड़ी हर गतिविधि के लिए डिजिटल मंच तैयार किए गए हैं।

  • Policy – लाभकारी और न्यायसंगत नीतियों का निर्माण हुआ है।

  • Prosperity – लक्ष्य है समाज के अंतिम व्यक्ति तक समृद्धि पहुंचाना।

अमूल की चॉकलेट और चीज परियोजनाओं का शुभारंभ

इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से अमूल की दो प्रमुख परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया गया—

  1. मोगर में चॉकलेट प्लांट का विस्तार – ₹105 करोड़ की लागत से अब इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 30 टन से बढ़कर 60 टन प्रतिदिन हो जाएगी।

  2. खात्रज में डॉ. वर्गीस कुरियन चीज प्लांट – ₹260 करोड़ की लागत से निर्मित यह अत्याधुनिक संयंत्र भारत को चीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। यहां UHT दूध, Whey-based ड्रिंक्स, मोजरेला चीज, प्रोसेस्ड चीज पैकिंग और स्मार्ट वेयरहाउस जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।

NDDB और NCDFI की नई सुविधाओं का लोकार्पण

शाह ने आणंद में:

  • NDDB के रेडी-टू-यूज कल्चर प्लांट (₹45 करोड़),

  • भारतीय राष्ट्रीय सहकारी डेयरी महासंघ (NCDFI) के नए मुख्यालय भवन (₹32 करोड़),

  • NDDB कार्यालय परिसर में मणिबेन पटेल भवन,
    का लोकार्पण भी किया।

इन सुविधाओं से भारत, डेयरी उत्पादों के क्षेत्र में तकनीकी रूप से और मजबूत होगा।

नमक उत्पादन में सहकारी आंदोलन

इस अवसर पर शाह ने कच्छ जिले में नमक मजदूरों के लिए एक नई सहकारी समिति की भी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह समिति आने वाले समय में नमक उत्पादकों के जीवन में बदलाव लाएगी और यह आंदोलन अमूल मॉडल की तरह सशक्त बनेगा।

‘सरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन’ का गठन

अमित शाह ने ‘सरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन’ के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि यह संस्था दूध की निष्पक्ष खरीद, कीमतों में स्थिरता और डेयरी क्षेत्र में सर्कुलर इकॉनमी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम में शाह ने भारत माता के सच्चे सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि, “डॉ. मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने में उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता।”

आठ नई राष्ट्रीय सहकारी संस्थाओं की घोषणा

शाह ने बताया कि सरकार द्वारा बनाई जा रही 2 लाख नई PACS, सहकारी यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस, 3 अनाज आधारित सहकारी संस्थाएं, और 3 डेयरी आधारित राष्ट्रीय सहकारी संस्थाएं देश में सहकारिता आंदोलन को रफ्तार और मजबूती प्रदान करेंगी।

पारदर्शिता, तकनीक और सदस्य को केन्द्र में लाने पर जोर

अमित शाह ने सहकारी संस्थाओं को चेताते हुए कहा कि यदि पारदर्शिता नहीं होगी, तकनीक को नहीं अपनाया जाएगा और सदस्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तो संस्थाएं कमजोर पड़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि इन तीन मूलमंत्रों को इस सहकारिता वर्ष में धरातल पर उतारना जरूरी है

मुख्य अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री  भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, मुरलीधर मोहोल, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल, तथा सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

सारांश

कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि केंद्र सरकार सहकारिता को समाज के अंतिम व्यक्ति तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। बीते 4 वर्षों में सहकारिता मंत्रालय ने न केवल योजनाएं बनाई हैं, बल्कि उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करके आर्थिक विकास में योगदान दिया है। यह आंदोलन अब एक नए युग में प्रवेश कर चुका है, जो देश की सामूहिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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