जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय संगोष्ठी

जैविक खेती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सह प्रदर्शनी का भव्य आयोजन

गाजियाबाद: राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र (एनसीओएनएफ), गाजियाबाद द्वारा 18-19 मार्च 2025 को “जैविक खेती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सह प्रदर्शनी” का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन का उद्घाटन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशक (वित्त)  के.एम.एस. खालसा, एनसीओएनएफ के निदेशक डॉ. गगनेश शर्मा, तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सलाहकार डॉ. ए.के. यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. भारत भूषण त्यागी, बंसी गिर गौशाला, अहमदाबाद से गोपाल भाई सुतारिया तथा एनसीओएनएफ एवं आरसीओएनएफ के अधिकारी उपस्थित रहे।

जैविक खेती के महत्व पर जोर

मुख्य अतिथि के.एम.एस. खालसा ने अपने संबोधन में जैविक खेती के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस पद्धति से किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार हरसंभव समर्थन देगी। इस अवसर पर “जैविक खेती की पुस्तिका” और “स्मारिका” का विमोचन भी किया गया।

एनसीओएनएफ के निदेशक का संबोधन

एनसीओएनएफ के निदेशक डॉ. गगनेश शर्मा ने मुख्य भाषण में जैविक और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एनसीओएनएफ की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रमाणीकरण, जैविक इनपुट गुणवत्ता प्रबंधन और जैविक उत्पादों के विपणन के अवसरों पर चर्चा की।

जैविक उत्पादों के बाजार पर विशेष ध्यान

डॉ. ए.के. यादव ने भारत में जैविक खेती की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों और अन्य हितधारकों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने जैविक खेती को देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक बताया।

गांव क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण पर जोर

पद्मश्री डॉ. भारत भूषण त्यागी ने गांव क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी ताकि अधिक से अधिक भूमि को जैविक प्रमाणीकरण के अंतर्गत लाया जा सके। वहीं, श्री गोपाल भाई सुतारिया ने “गौकृपा कृषि” पद्धति के महत्व को समझाते हुए बताया कि किस प्रकार किसान गाय आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाकर लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह पद्धति सभी हितधारकों के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

चार सत्रों में व्यापक चर्चा

दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान चार सत्रों में कुल 18 विचार-विमर्श हुए। इन सत्रों में नीति निर्माता, शोधकर्ता, शिक्षाविद, प्रगतिशील किसान, नवोन्मेषक, उद्यमी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल हुए। संगोष्ठी में टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की भूमिका, जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण, प्रसंस्करण और विपणन पर विशेष ध्यान दिया गया।

चैंपियन किसानों का सम्मान

इस अवसर पर देशभर के चैंपियन किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने जैविक खेती में उल्लेखनीय योगदान दिया है। साथ ही, 23 प्रदर्शकों ने अपने जैविक और प्राकृतिक खेती से संबंधित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन किया।

देशभर के प्रतिभागियों की भागीदारी

इस महत्वपूर्ण आयोजन में गाजियाबाद, नागपुर, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और इंफाल स्थित जैविक एवं प्राकृतिक खेती के क्षेत्रीय केंद्रों (आरसीओएनएफ) के अधिकारी शामिल हुए। देशभर से आए 200 से अधिक प्रतिभागियों ने संगोष्ठी में सक्रिय भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के समापन पर सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों के योगदान को स्वीकार करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी जैविक खेती को बढ़ावा देने और इसे मुख्यधारा की कृषि प्रणाली में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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