मई-जून में आम की देखभाल कैसे करें: पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय

मई-जून: आम उत्पादन का निर्णायक समय

आम पैदावार के दृष्टिकोण से मई और जून के महीने निर्णायक माने जाते हैं। यही वह समय होता है जब आम फल अपने विकास की अंतिम अवस्था में पहुँचते हैं और उनके आकार, वजन, स्वाद, रंग व मिठास (TSS) में तेजी से वृद्धि होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस समय पौधों को संतुलित पोषण, पर्याप्त नमी और कीट-रोगों से सुरक्षा मिल जाए, तो न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि फलों की गुणवत्ता भी काफी सुधरती है। डॉ. एस.के. सिंह,के अनुसार इस समय आम के बागों की देखभाल में सावधानी जरूरी है।

प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह
फल विकास के समय पोषण प्रबंधन बेहद जरूरी

गर्मी के इन महीनों में आम के पौधे पोषण की मांग बढ़ा देते हैं। बागवानी विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP) का 1% घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें। इससे न सिर्फ फलों में मिठास बढ़ती है बल्कि उनका रंग और स्वाद भी निखरता है।

नमी बनाए रखना चुनौती, मल्चिंग और सिंचाई है समाधान

तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण मिट्टी की नमी तेजी से खत्म होती है। ऐसे में दो प्रमुख उपाय कारगर साबित हो सकते हैं:

  • मल्चिंग: पौधों के चारों ओर सूखी घास, पुआल या प्लास्टिक मल्च बिछाकर नमी के वाष्पन को रोका जा सकता है।

  • नियमित सिंचाई: ड्रिप या फव्वारा पद्धति से आवश्यकतानुसार सिंचाई करें ताकि फल विकास अवरुद्ध न हो।

फल मक्खी पर विशेष नजर, कीट नियंत्रण में लापरवाही भारी पड़ सकती है

मई-जून के दौरान आम की फसल पर फल मक्खी का खतरा मंडराने लगता है। यह कीट फलों में अंडे देती है, जिससे फल सड़ जाते हैं और बाजार मूल्य घट जाता है। नियंत्रण के लिए निम्न उपाय प्रभावी माने जा रहे हैं:

  • मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप: प्रत्येक एकड़ में 10–15 फेरोमोन ट्रैप लगाकर नर मक्खियों को आकर्षित कर नष्ट किया जा सकता है।

  • रासायनिक नियंत्रण: संक्रमण की स्थिति में डेल्टामेथ्रिन (1 मि.ली./लीटर) और गुड़ (10 ग्राम/लीटर) का घोल बनाकर छिड़काव करें।

गर्मी में रोगों का भी बढ़ता है खतरा: एन्थ्रेक्नोज और सूटी मोल्ड पर नियंत्रण आवश्यक

तेज गर्मी और उमस में एन्थ्रेक्नोजसूटी मोल्ड जैसे फफूंद रोग उभरते हैं, जो फलों की गुणवत्ता पर बुरा असर डालते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ निम्न उपायों की सलाह देते हैं:

  • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) या मैन्कोजेब (0.25%) का प्रत्येक 15 दिन पर छिड़काव करें।

  • नीम तेल (0.5%) या स्टार्च घोल से छिड़काव करके मोल्ड को बढ़ने से रोका जा सकता है।

पूर्व कटाई से लेकर तुड़ाई तक की सावधानियां भी महत्वपूर्ण

जून के अंत से जुलाई की शुरुआत तक फलों की तुड़ाई शुरू होती है। इस दौरान निम्न बातों का ध्यान रखें:

  • अंतिम छिड़काव: कटाई से 15–20 दिन पूर्व कार्बेन्डाजिम या थियोफैनेट मिथाइल (0.1%) का छिड़काव करें। तुड़ाई से दो सप्ताह पूर्व रसायनों का प्रयोग बंद कर दें।

  • तुड़ाई का समय और विधि: सुबह या देर अपराह्न का समय चुनें। कैंची या क्लिपर का उपयोग कर सावधानीपूर्वक तुड़ाई करें ताकि फलों को नुकसान न पहुंचे।

फलों की गुणवत्ता के लिए हॉट वॉटर ट्रीटमेंट उपयोगी

कटाई के बाद फलों को 52°C गर्म पानी में 5–10 मिनट डुबोना फल मक्खी और अन्य रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।

छंटाई, ग्रेडिंग और पैकिंग से बढ़ेगा बाजार मूल्य
  • फलों को ग्रेडिंग कर वेंटिलेटेड डिब्बों में कागज या फोम की कुशनिंग सामग्री के साथ पैक करें ताकि परिवहन के दौरान क्षति न हो।

समेकित प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाएं
  • बाग की साफ-सफाई बनाए रखें।

  • सड़े-गले और गिरे हुए फलों को तुरंत हटाएं।

  • सनबर्न से बचाव के लिए काओलिन (3%) का छिड़काव करें।

सारांश
आम की खेती में मई से जुलाई के महीनों के दौरान वैज्ञानिक और समयबद्ध प्रबंधन अत्यंत आवश्यक होता है। यदि उपर्युक्त सुझावों को अपनाया जाए तो न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि फलों की गुणवत्ता, रोग-प्रतिरोध और बाजार मूल्य में भी उल्लेखनीय सुधार होता है। यह चरण फलों को बाज़ार के लिए तैयार करने का निर्णायक समय होता है, और थोड़ी सी लापरवाही पूरे सीजन की मेहनत को व्यर्थ कर सकती है। इसलिए किसानों को इन उपायों को नियमित रूप से अपनाकर अपने बागवानी व्यवसाय को अधिक लाभकारी बनाना चाहिए।

#सौजन्य:

प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पीजी विभाग, पादप रोग विज्ञान एवं नेमेटोलॉजी
प्रधान, केला अनुसंधान केंद्र, गोरौल, हाजीपुर
पूर्व प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर

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