गन्ने में कीटों से बचाव के लिए खेतों में फेरोमोन ट्रैप लगाएं
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को टॉप बोरर (चोटी बेधक) और पायरिला कीट के प्रभावी नियंत्रण हेतु एडवाइजरी जारी की गई है। यह जानकारी प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों के संयुक्त निरीक्षण में यह पाया गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, विशेषकर सहारनपुर क्षेत्र में इन कीटों का प्रकोप सर्वाधिक है, जबकि पूर्वी क्षेत्र में न्यूनतम प्रभाव देखा गया।
🔍 मुख्य बिंदु
-
टॉप बोरर के द्वितीय ब्रूड के यांत्रिक नियंत्रण की सिफारिश
-
गन्ना खेतों में फेरोमोन ट्रैप/लाइट ट्रैप लगाने की सलाह
-
पत्तियों और संक्रमित कल्लों को तोड़कर नष्ट करें किसान
-
15 मई से 15 जून के बीच क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल 150 मि.ली./एकड़ का ड्रेंचिंग करें
-
जैविक नियंत्रण हेतु ट्राइकोग्रामा जापोनिकम का प्रयोग करें
-
पायरिला पर परजीवी इपीरिकेनिया प्रभावी, रासायनिक छिड़काव से बचें
-
ब्लैक बग के नियंत्रण हेतु क्लोरोपाइरीफास का छिड़काव संभव उपाय
-
पश्चिमी यूपी, खासकर सहारनपुर में अधिक प्रकोप; पूर्वी यूपी में कम प्रभाव
🧪 टॉप बोरर नियंत्रण उपाय:
गन्ना फसल में इस समय टॉप बोरर का द्वितीय ब्रूड सक्रिय है, जिसे यांत्रिक विधियों से नियंत्रित करना सबसे प्रभावी माना गया है। किसानों को सलाह दी गई है कि संक्रमित पत्तियों एवं कल्लों को तोड़कर नष्ट करें।
इसके अतिरिक्त, टॉप बोरर के द्वितीय एवं तृतीय ब्रूड के नियंत्रण के लिए 15 मई से 15 जून के बीच प्रति एकड़ क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल 150 मि.ली. को 400 लीटर पानी में घोलकर ड्रेन्चिंग करें और उसके बाद सिंचाई करें।
-
भौतिक व जैविक नियंत्रण विधियां भी कारगर
कीटों की संख्या नियंत्रित करने हेतु खेतों में फेरोमोन ट्रैप व लाइट ट्रैप लगाने की सलाह दी गई है। साथ ही, परजीवी ट्राइकोग्राम जापोनिकम का 50,000 वयस्क प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अंतिम सप्ताह से 15 दिन के अंतराल पर उपयोग करने का सुझाव भी दिया गया है।
🐛 पायरिला नियंत्रण उपाय:
आयुक्त ने स्पष्ट किया कि इस समय पायरिला के प्राकृतिक परजीवी इपिरिकेनिया मेलैनोल्यूका की पर्याप्त उपस्थिति देखी गई है, जिससे इसका प्रभाव स्वतः कम हो रहा है। साथ ही, गर्मी और नमी के बढ़ने के कारण पायरिला के वयस्क और निम्फ निष्क्रिय हो जाते हैं।
इसलिए रासायनिक नियंत्रण की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अत्यधिक प्रभाव होने की स्थिति में क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी या क्वीनालफास 25 ईसी की 800 मि.ली. मात्रा को 625 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव की अनुमति दी गई है। यही उपाय ब्लैक बग नियंत्रण के लिए भी लागू है।
🐞 ब्लैक बग नियंत्रण:
-
कालाचिकटा (ब्लैक बग) कुछ स्थानों पर सक्रिय
-
पायरिला नियंत्रण जैसी ही रासायनिक विधि अपनाएं
🗣️ आयुक्त का निर्देश:
प्रदेश भर में गन्ना रोग नियंत्रण एवं जागरूकता के लिए क्षेत्रीय व जनपद स्तरीय अधिकारियों और फील्ड कर्मियों को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, गन्ना समितियों व चीनी मिलों के गोदामों में कीटनाशक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की बात भी कही गई है।
यह भी पढ़ें. https://krishitimes.com/ganna-kisan-frp-2025/