कीवी की वैज्ञानिक खेती
कीवी फल ही नहीं, औषधीय गुणों की खान हैं। माना जाता है कि इसमें 28 औषधीय गुण है। खासकर पपीते की तरह डेंगू से मुकाबला करने में कीवी फल मददगार होता है।एनीमिया खत्म करने के लिए भी कीवी फायदेमंद होता है।
भारत के पहाड़ी राज्यों में कीवी की खेती किसानों को मुनाफा दे रही हैं। बाज़ार में इसकी अच्छी मांग होने से फल हाथों हाथ बिक भी जाते हैं। उत्तराखंड के किसानों के फल बरेली मंडी तक बिकने आते हैं। उन्हें पहले 50 रुपए किलो मिलते थे अब उन्हें 150 से 180 रुपए किलो तक मिल जाते है। बाज़ार में ये कीवी पीस के हिसाब से बिकते हैं। नैनीताल के निगलाट गांव के संगत सिंह को तो लोग कीवी मैन के तौर पर जानते है। उत्तराखंड सरकार ने इन्हें कीवी मिशन के लिए सम्मानित किया है। 88 साल के संगत सिंह चाहते है कि हर किसान अपने खेत में कम से कम 5 पौधे जरुर लगाएं। कई किसानों को इसकी बागवानी से हर साल 2 से 3 लाख की आमदनी हर साल होने लगी है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में कीवी किसान इसकी खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे है। सरकार ने यहां विजेंद्र ठाकुर सरीखे प्रगतिशाल किसानों को 100 कीवी पौधे लगाने पर 1.6 लाख की सब्सिडी दी है। इन्ही की तरह इस इलाके में और भी किसान कीवी उगा रहे हैं। नरेंद्र पंवार ने तो 300 पौधों लगाकर 90 क्विंटल पैदावार ली। वो बेरोजगारों को कीवी खेती की सलाह देते है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के अलावा जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में कीवी की खेती की जाती है। इसके साथ ही नीलगिरी की पहाड़ियों और दार्जिलिंग में भी कीवी के बाग देखने को मिलते है। ग्लोबल लेवल पर देखें तो न्यूजीलैंड, इटली, चीन और ग्रीस में इसकी पैदावार होती है।
कीवी की वैज्ञानिक खेती
कीवी के खेती के लिए उपयुक्त समय अक्तूबर- नवंबर का होता है। जलवायु उपोष्ण और समशीतोष्ण इलाके की बेहतर होती है। गहरी दोमट मिट्टी pH मान 5 से 6 । मानसून खत्म होते ही पौधारोपण करें। इस उपयुक्त समय पर पौधे अच्ची तरह से विकसित होते है।पौधों के बीच 5-6 मीटर और क्यारियों के बीच 4 मीटर की दूरी ऱखें । कीवी के खेत के लिए बेहतर जल निकासी वाली जमीन का चयन करना चाहिए। 700 से 1500 मीटर ऊंचाई वाली जगह सही होती है।
सिंचाई हर 2-3 दिन में अवश्य करें। 5 साल पुराने पौधे के लिए 40 किलोग्राम गोबर की खाद,850 ग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम सुपर फॉस्फेट र 800-850 ग्राम पोटाश मिलाकर दें। कीवी किसानों को सही देखभाल, कीट-रोग नियंत्रण और फसल तकनीक प्रबंधन पर खास ध्यान देना चाहिए। फल तुड़ाई के प्रक्रिया के साथ खेतों में आर्गेनिक खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करें। अगली पैदावार के लिए ये सही होगा। प्रति एकड़ में 150 से 180 पौधे लगाना उपयुक्त रहता है।
आलोक रंजन
Photo- AI Generated