शिवराज सिंह ने शुरू किया विकसित कृषि संकल्प अभियान!

राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन 2025 में कृषि क्रांति की नींव!

नई दिल्ली- देश के कृषि क्षेत्र को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में नई दिल्ली के पूसा स्थित भारत रत्न सी. सुब्रह्मण्यम ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान 2025 का सफल आयोजन किया गया।

इस अवसर पर कृषि मंत्री चौहान ने 29 मई से 12 जून तक चलने वाले ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की घोषणा की। इस अभियान का उद्देश्य कृषि वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से देशभर के किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, जलवायु अनुकूल खेती, लागत कम करने वाले उपायों तथा उन्नत किस्मों की जानकारी देना है।

सम्मेलन में विभिन्न राज्यों की भागीदारी

इस सम्मेलन में 10 से अधिक राज्यों के कृषि मंत्री स्वयं उपस्थित हुए, जबकि अन्य राज्यों के मंत्री वर्चुअल माध्यम से जुड़े। सभी ने केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाकर खेती को लाभकारी और टिकाऊ बनाने पर सहमति जताई। केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी राज्यों से आह्वान किया कि वे विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मिलकर कार्य करें।

शिवराज सिंह चौहान के वक्तव्य के प्रमुख अंश

“भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव हो पाया है। कृषि क्षेत्र का योगदान इस उपलब्धि में अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने कहा कि देश में खाद्यान्न, फल और सब्जियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह तभी संभव होगा जब केंद्र और राज्य मिलकर काम करें और वैज्ञानिक नवाचारों को धरातल तक पहुंचाएं।

“ऑपरेशन सिंदूर” और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सख्त रुख

अपने वक्तव्य में चौहान ने हाल ही में किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा,

“यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यह एक संदेश है कि भारत की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता। हम किसी को छेड़ते नहीं हैं, लेकिन जो हमें छेड़ेगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा।”

उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि (1960) देश और किसानों के साथ ऐतिहासिक अन्याय था, जिसमें हमारी नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को सौंप दिया गया। अब समय आ गया है कि सिंधु नदी की हर बूंद का उपयोग देश की खेती, बिजली उत्पादन और विकास के लिए किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के किसानों को अधिक सिंचाई जल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।

वैज्ञानिकों और नई फसल किस्मों का योगदान

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2014 के बाद से अब तक 2,900 नई फसल किस्मों का विकास किया गया है। इनमें से कुछ किस्में 20 दिन पहले पकती हैं, जिससे जल की बचत, उत्पादन में वृद्धि और मीथेन उत्सर्जन में कमी संभव होती है। ये किस्में जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी।

चौहान ने कहा कि हमारे पास 16,000 वैज्ञानिकों की फौज है, जिनमें से 4-4 विशेषज्ञों की टीम बनाकर गांव-गांव भेजा जाएगा, ताकि किसान जागरूक हो सकें और विज्ञान आधारित खेती को अपनाएं। यह अभियान वर्ष में दो बार, खरीफ और रबी सीजन से पहले चलाया जाएगा।

सम्मेलन में अधिकारियों और विशेषज्ञों की उपस्थिति

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री  रामनाथ ठाकुर, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा, आईसीएआर महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, डीडीजी डॉ. राजबीर सिंहडॉ. डी. के. यादव, मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक राहुल सक्सेना सहित कई विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

अधिकारियों ने मिट्टी की सेहत, उर्वरकों के संतुलित उपयोग, जल संरक्षण और जलवायु अनुकूल खेती जैसे मुद्दों पर प्रस्तुतियां दीं। संयुक्त सचिव अजीत कुमार साहू, सैमुअल प्रवीण कुमार और पूर्ण चंद्र किशन ने भी तकनीकी सुझाव साझा किए। अंत में, कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री पेरिन देवी ने सभी का आभार प्रकट किया।

सारांश:
राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान 2025 न केवल कृषि नीति के निर्धारण का मंच बना, बल्कि यह भविष्य की दिशा और रणनीति तय करने की एक सशक्त पहल सिद्ध हुई। श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा घोषित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ से उम्मीद की जा रही है कि यह किसानों की आय, कृषि उत्पादकता और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को नई गति देगा।

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