गन्ने की फसल को बचाएं – अपनाएं ये वैज्ञानिक उपाय

गन्ने की फसल में काला चिकटा से बचाव के प्रभावी उपाय | किसानों के लिए ज़रूरी एडवाइजरी

लखनऊ– उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसलों को ब्लैक बग (काला चिकटा) जैसे चूसक कीटों से बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों और संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि विभिन्न गन्ना क्षेत्रों में वैज्ञानिकों की संयुक्त टीमों द्वारा किए गए स्थलीय निरीक्षण में ब्लैक बग और पायरिला के संक्रमण की पुष्टि हुई है।

ब्लैक बग का प्रकोप और पहचान:

ब्लैक बग एक चूसक कीट है, जिसका प्रकोप विशेष रूप से गर्म और शुष्क मौसम—अप्रैल से जून तक—में देखा जाता है। यह कीट पेड़ी गन्ने में ज्यादा तथा पौधा फसल में कम पाया जाता है। संक्रमित पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और उन पर कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं। इसके शिशु और प्रौढ़ दोनों ही गन्ने की पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और पत्तियों में छिद्र भी हो सकते हैं।

किसानों के लिए सलाह:
  • फसल कटाई के बाद प्रभावित क्षेत्रों में पताई और ठूठों को नष्ट कर देना चाहिए।

  • खेतों की नियमित सिंचाई करने से कीट प्रभाव कम होता है।

  • कीटनाशकों का उचित मात्रा में छिड़काव करें। विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए रसायन निम्नलिखित हैं:

    • प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC – 750 मि.ली.

    • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 200 मि.ली.

    • क्वीनालफॉस 25% EC – 825 मि.ली.

    • क्लोरोपायरीफास 20% EC – 800 मि.ली.
      उपरोक्त रसायनों को 625 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

विशेष स्थिति में सलाह:
जहां ब्लैक बग का प्रकोप कम और पायरिला का संक्रमण अधिक हो तथा जैव परजीवी भी दिखाई दें, वहां रासायनिक नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन यदि ब्लैक बग की संख्या अधिक हो और कोई परजीवी न हो, तो रासायनिक नियंत्रण अनिवार्य हो जाता है।

गन्ना विभाग द्वारा किसानों, विभागीय अधिकारियों और चीनी मिलों को इस संबंध में विस्तृत एडवाइजरी जारी कर दी गई है। किसानों से अपील की गई है कि वे वैज्ञानिकों की सलाह का पालन करें ताकि फसल को गंभीर नुकसान से बचाया जा सके।

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