भारत 2047: शिवराज का आत्मनिर्भर भारत पर जोर

प्राकृतिक खेती से गांवों में समृद्धि लाने की योजना

नई दिल्ली– केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज स्वदेशी शोध संस्थान द्वारा आयोजित “विजन ऑफ भारत 2047: समृद्ध और महान भारत” विषय पर आधारित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। अपने ओजस्वी संबोधन में उन्होंने भारत की प्राचीनता, सांस्कृतिक समृद्धि और वर्तमान सरकार के विकासात्मक प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत महान था, भारत महान है और भारत महान रहेगा।”

सम्मेलन में बोले शिवराज सिंह – विकसित भारत के निर्माण की ओर देश अग्रसर

चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को एक विकसित, गौरवशाली, वैभवशाली, सम्पन्न, समृद्ध और शक्तिशाली भारत बनाने के महाअभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक उन्नति नहीं बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक समृद्धि का भी लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि “हमारा राष्ट्र अत्यंत प्राचीन और महान है, जिसकी विरासत पांच हजार वर्षों से भी पुरानी है।”

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब पश्चिमी देश अपने शरीर को पत्तों और छालों से ढंकते थे, तब भारत में मलमल का निर्माण हो रहा था। भारत की सोच “वसुधैव कुटुम्बकम्” को उन्होंने वैश्विक भाईचारे का मूल मंत्र बताया।

प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा: 1500 क्लस्टर में 7.5 लाख किसानों तक पहुँचने का लक्ष्य

कृषि क्षेत्र की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। “एक समय था जब हम अमेरिका से गेहूं मंगाते थे, और आज भारत न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि अन्य देशों को भी अन्न का निर्यात करता है।” उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद भारत ने न केवल अपने नागरिकों के लिए पर्याप्त अन्न उपलब्ध कराया है बल्कि निर्यात भी बढ़ाया है।

उन्होंने बताया कि कृषि के लिए सरकार की 6-सूत्रीय रणनीति में शामिल हैं —

  1. उत्पादन में वृद्धि

  2. लागत में कमी

  3. उचित मूल्य दिलाना

  4. नुकसान की भरपाई

  5. खेती का विविधिकरण

  6. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना

चौहान ने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि 1500 क्लस्टरों में 7.5 लाख किसानों तक प्राकृतिक खेती को ले जाया जाए।” उन्होंने कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण और जैव विविधता पर पड़ रहे दुष्प्रभाव पर चिंता जताते हुए इसे नियंत्रित करने का आह्वान किया।

गांवों का विकास ही सच्चा विकास: चौहान

उन्होंने शहरीकरण की एकांगी सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक गांव आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे, देश का संतुलित विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि “गांवों में पक्के मकान, स्वच्छ जल, सड़कों का नेटवर्क, पंचायत और सामुदायिक भवन, स्थानीय बाजार और आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करना अनिवार्य है।”

चौहान ने यह भी कहा कि हर ग्रामीण परिवार को किसी न किसी रोजगार से जोड़ना चाहिए, जिससे गांवों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की भी वकालत

पर्यावरण पर चिंता जताते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि “प्रकृति का दोहन करें, शोषण नहीं।” उन्होंने बताया कि भारत दुनिया में सिर्फ 7 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करता है और यहां प्रकृति की पूजा की जाती है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता बताते हुए प्रकृति के संरक्षण के साथ विकास को आवश्यक बताया।

भारत बनेगा विश्व शांति का मार्गदर्शक

अपने संबोधन के समापन में केंद्रीय मंत्री ने आत्मविश्वास जताया कि जिस मार्ग पर भारत चल रहा है, वह आने वाले समय में न केवल विकास का उदाहरण बनेगा, बल्कि विश्व शांति के लिए भी एक दिशा प्रदर्शित करेगा। उन्होंने सभी से इस महान कार्य में सहभागी बनने का आह्वान किया।

“हम भारत को न केवल विकसित राष्ट्र बनाएंगे, बल्कि दुनिया को भी राह दिखाएंगे।” – शिवराज सिंह चौहान

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