ICAR के नए महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट का विज़न और प्राथमिकताएं
नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के नव नियुक्त महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट का आज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा के सभागार में भव्य अभिनंदन किया गया। इस गरिमामय समारोह में वैज्ञानिक, शिक्षाविद, शोधकर्ता और छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
समारोह की अध्यक्षता IARI के निदेशक डॉ. सी.एच. श्रीनिवास राव ने की। इस मौके पर ICAR के उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. डी.के. यादव, दिल्ली स्थित ICAR संस्थानों के निदेशक, IARI के डीन, विभिन्न विभागों के प्रमुख वैज्ञानिक, शिक्षक, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट और पुष्पगुच्छों के साथ डॉ. जाट का जोरदार स्वागत किया।
डॉ. जाट का संबोधन: वैज्ञानिक सोच के साथ किसान हित पर ज़ोर
अपने स्वागत भाषण में डॉ. एम.एल. जाट ने कहा कि ICAR का मुख्य उद्देश्य किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र का समग्र विकास है। उन्होंने कहा कि आज की बदलती दुनिया में अनुसंधान को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना चाहिए, लेकिन उसमें वैश्विक दृष्टिकोण का समावेश भी जरूरी है। उन्होंने “Think Globally, Act Locally” की भावना को अपनाने की सलाह दी।
डॉ. जाट ने अपने संबोधन में वर्तमान वैश्विक चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि कृषि क्षेत्र को तीन मुख्य दिशाओं में अपने अनुसंधान केंद्रित करने होंगे – जलवायु के अनुसार लचीली फसल प्रणाली (Climate-resilient cropping systems), पोषण को ध्यान में रखते हुए कृषि (Nutrition-sensitive agriculture), और बाजार से जुड़ी कृषि प्रणाली (Market-led agri-systems)। उन्होंने कहा कि ये न केवल समय की माँग हैं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को लाभकारी बनाने के लिए भी जरूरी हैं।
उन्होंने तकनीक की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और छोटे यंत्रीकरण जैसी तकनीकों का असली फायदा तभी है जब वे किसानों की पहुँच में हों। उन्होंने IARI से आग्रह किया कि ऐसी तकनीकों को इस प्रकार विकसित किया जाए कि वे सीधे किसानों को लाभ पहुँचा सकें।
कृषि शिक्षा में बदलाव की ज़रूरत
कृषि शिक्षा पर बोलते हुए डॉ. जाट ने कहा कि भारत की कृषि शिक्षा प्रणाली को अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिक नेतृत्व और मेंटरशिप आधारित शिक्षा मॉडल अपनाने पर बल दिया। उनके अनुसार, “हमारा मूल कार्य विज्ञान है और हमें विज्ञान को हर स्तर पर समर्थन देना चाहिए।”
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अब ‘Ease of Doing Business’ की तर्ज पर ‘Ease of Doing Science’ की अवधारणा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यानी अनुसंधान कार्य में रुकावटों को दूर कर एक सहज और सहयोगी माहौल तैयार करना होगा।
ICAR को वैश्विक मंच पर लाने की रणनीति
डॉ. जाट ने ICAR को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने द्वैध डिग्री कार्यक्रम (Dual Degree Programs), किसान-केंद्रित अनुसंधान, FPO के लिए व्यावसायिक योजना निर्माण, और वैश्विक ट्रेंड्स (Global Mega Trends) पर अनुसंधान को प्राथमिकता देने की आवश्यकता जताई।
उन्होंने यह भी कहा कि अनुसंधान की दिशा केवल ‘उत्पादन’ तक सीमित न रहकर ‘उत्पादन से पहले’ और ‘उत्पादन के बाद’ की प्रक्रियाओं – जैसे कि बाजार बुद्धिमत्ता, सामाजिक विज्ञान और एक्सटेंशन सिस्टम – की ओर भी बढ़नी चाहिए।
डॉ. जाट ने ICAR के पास मौजूद सशक्त डेटा बैंक और डेटा साझा करने की नीति के बेहतर उपयोग पर भी बल दिया। उनका मानना है कि इन संसाधनों का सही उपयोग करके न केवल अनुसंधान को दिशा दी जा सकती है, बल्कि देशभर के किसानों को भी सीधा लाभ पहुँचाया जा सकता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने व्यक्त किए विचार
कार्यक्रम में IARI के निदेशक डॉ. सी.एच. श्रीनिवास राव ने डॉ. जाट के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके पास वैश्विक अनुभव, नीति निर्माण में दक्षता और नवाचार को ज़मीन पर उतारने की गहरी समझ है। उन्होंने भरोसा जताया कि डॉ. जाट के नेतृत्व में ICAR नई ऊँचाइयों को छूएगा।
ICAR के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. डी.के. यादव सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों, निदेशकों और शिक्षकों ने भी मंच से अपने विचार साझा किए। सभी ने डॉ. जाट को शुभकामनाएँ देते हुए विश्वास जताया कि उनके नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में नवाचार, समावेशन और टिकाऊ विकास को नई दिशा मिलेगी।
समारोह का समापन उत्साह और उम्मीदों के साथ
समारोह का समापन एक सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा के माहौल में हुआ। डॉ. जाट के विचारों ने न सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय, बल्कि उपस्थित छात्रों और युवा शोधकर्ताओं को भी नई सोच और लक्ष्य की ओर प्रेरित किया।
इस स्वागत समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया कि ICAR अब एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जहाँ विज्ञान, तकनीक और किसान – तीनों को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाई जाएँगी और भारत की कृषि को वैश्विक मानकों पर स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँगे।