रिपोर्ट- आशुतोष शुक्ल
गरीबों को मिलेगा दुधारू पशु, पोषण और रोजगार को बढ़ावा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के गो आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि पशुपालन और दुग्ध विकास न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है, बल्कि इससे महिला सशक्तिकरण, पोषण सुरक्षा और आजीविका के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कहते हुए निर्देश दिया कि इसका इस्तेमाल सरकारी भवनों में भी किया जाए। साथ ही ऐसे पेंट प्लांट्स की संख्या में वृद्धि के भी निर्देश दिए गए।
सीसीटीवी निगरानी, हरा चारा और डॉक्टरों की विजिट सुनिश्चित करने के निर्देश
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में वर्तमान में 7693 गो आश्रय स्थलों में लगभग 11.49 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इन स्थलों की सीसीटीवी कैमरों से निगरानी हो रही है और नियमित निरीक्षण भी कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन केंद्रों में केयर टेकर की नियमित नियुक्ति, समय पर वेतन भुगतान, भूसा बैंक की स्थापना और हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने निर्देश दिया कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए इन स्थलों पर पशु चिकित्सकों की समय-समय पर विजिट अनिवार्य रूप से कराई जाए।
गरीब परिवारों को मिलेगा दुधारू गोवंश
मुख्यमंत्री ने ‘मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना’ के अंतर्गत गरीब परिवारों को एक-एक दुधारू गाय उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे जहां एक ओर परिवार गोसेवा से जुड़ेंगे, वहीं दूसरी ओर दूध की उपलब्धता से उनके पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिता और सम्मान की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी ने मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिता आयोजित करने के निर्देश दिए और कहा कि श्रेष्ठ गो आश्रय स्थलों को चिन्हित कर उन्हें सम्मानित किया जाए। इसी प्रकार, गो आधारित उत्पाद बनाने वाली संस्थाओं के बीच भी प्रतियोगिता कराई जाए।
गोचर भूमि पर चारा उत्पादन और सीबीजी प्लांट की स्थापना
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अब तक 40968.29 हेक्टेयर गोचर भूमि कब्जामुक्त कराई गई है, जिसमें से 12168.78 हेक्टेयर भूमि पर हरे चारे का उत्पादन किया जा रहा है। वाराणसी और मुजफ्फरनगर में गो आश्रय स्थलों की आत्मनिर्भरता हेतु सीबीजी प्लांट्स की स्थापना की जा रही है।
इसके अतिरिक्त, बरेली जिले में इफ्को आवंला के सहयोग से जैविक खाद और गोमूत्र से प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। राज्य में 21884 गोसेवकों को प्रशिक्षित कर कार्य में लगाया गया है।
दुग्ध उत्पादन में 10% वृद्धि, 16% तक बढ़ा टर्नओवर
समीक्षा बैठक में बताया गया कि वर्ष 2024-25 में प्रदेश का दुग्ध उपार्जन 3.97 लाख लीटर प्रतिदिन दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। इस दौरान दुग्ध उत्पादकों की सदस्यता में 8% की वृद्धि हुई है और 24031 दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षण दिया गया है।
राज्य का दुग्ध क्षेत्र का टर्नओवर ₹1120.44 करोड़ तक पहुंच गया है, जो गत वर्ष से 16% अधिक है। वाराणसी, अयोध्या, बरेली, मिर्जापुर, मथुरा और बस्ती के दुग्ध संघों को कुल ₹818.22 लाख का लाभ हुआ है।
नवीन योजनाओं का खाका तैयार, सहकारी समितियों का होगा विस्तार
भविष्य की योजनाओं की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2025-26 में 4922 नई सहकारी दुग्ध समितियों के गठन और 21922 समितियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।