2025 में मौसम की मेहरबानी से आम और लीची की फसल में बढ़ी मिठास और गुणवत्ता
पूसा (समस्तीपुर)- इस बार बिहार समेत पूर्वी भारत के कई हिस्सों में आम और लीची प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। अप्रैल 2025 में मौसम ने ऐसा रुख अपनाया कि फलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कृषि मौसम विभाग और जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र द्वारा किए गए मौसमीय विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि इस बार तापमान में कमी, पर्याप्त आर्द्रता और हल्की मगर समय पर हुई वर्षा ने फलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव फलों के स्वाद, रंग, गुणवत्ता और पैदावार पर पड़ेगा।
अप्रैल की वर्षा ने बढ़ाया फलों का स्वाद
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अप्रैल माह में कुल 29.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसके साथ ही पूरे महीने में सिर्फ दो दिन ही अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पास गया, जबकि अप्रैल 2024 में तापमान 41 डिग्री तक पहुंच गया था और पूरे महीने एक भी दिन बारिश नहीं हुई थी। इस बार के अपेक्षाकृत ठंडे और आर्द्र मौसम ने आम और लीची की बढ़वार के लिए अनुकूल वातावरण दिया।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार फलों की बनावट न केवल आकर्षक होगी, बल्कि उनमें सामान्य से अधिक मिठास भी देखने को मिलेगी। फल पैदावार में इस प्रकार की जलवायु परिस्थितियाँ बहुत कम देखने को मिलती हैं, जिससे किसानों और बागवानों को बेहतर बाजार भाव मिलने की उम्मीद है।
संवेदनशील अवस्था में फलों की देखभाल जरूरी
फल में विकास की यह अवस्था बेहद नाज़ुक होती है। अत्यधिक गर्मी या पानी की कमी से फल झड़ सकते हैं। साथ ही इस समय कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस समय विशेष सतर्कता बरतें और फसलों की नियमित निगरानी करें।
प्रमुख वैज्ञानिक सिफारिशें:
1. रोग एवं कीट नियंत्रण:
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फल मक्खी नियंत्रण: फेरोमोन ट्रैप @15/हेक्टेयर, तुड़ाई से 60 दिन पहले लगाएं।
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हॉपर नियंत्रण: इमिडाक्लोप्रिड @1 मि.ली./2 लीटर पानी में छिड़काव।
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एंथ्रेक्नोज रोग: हैक्साकोनाजोल या डाइनोकैप @1 मि.ली./लीटर।
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फल झड़ाव रोकने हेतु: प्लेनोफिक्स @1 मि.ली./3 लीटर पानी।
2. सिंचाई और पोषण प्रबंधन:
फलवृद्धि के समय हल्की सिंचाई आवश्यक है, लेकिन जलजमाव से बचना जरूरी है। पोषण हेतु उम्र के अनुसार DAP, यूरिया, MOP और गोबर की खाद रिंग विधि से दें।
3. सूक्ष्म पोषक तत्व:
मैंगो स्पेशल या बोरान @2-4 ग्राम/लीटर का छिड़काव फलों की गुणवत्ता सुधारने और झड़ाव रोकने में उपयोगी।
4. लीची में फल छेदक नियंत्रण:
थायाक्लोप्रिड या इमिडाक्लोप्रिड का दो बार छिड़काव करें। आखिरी छिड़काव तुड़ाई से 12-15 दिन पहले करें। बारिश होने पर छिड़काव दोहराना जरूरी है।
वैज्ञानिकों की अपील
प्रोफेसर (डॉ.) एस. के. सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक(पौधा रोग)एवं पूर्व प्रधान अन्वेषक अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना और डॉ. गुलाब सिंह, ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना, पूसा ने किसानों से अपील की है कि वे इस अनुकूल मौसमीय परिस्थिति का अधिकतम लाभ उठाएं, लेकिन रोग व कीट नियंत्रण में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें।