भारत में इको-फिशिंग पोर्ट्स की पहल: सतत विकास, स्मार्ट तकनीक और ब्लू इकॉनॉमी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
नई दिल्ली — मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्य पालन विभाग तथा फ्रांसीसी विकास एजेंसी एजेंस फ्रांसेइस डे डेवलपमेंट (AFD) के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी दिल्ली में “इको-फिशिंग पोर्ट्स: दीर्घकालिक और समावेशी बंदरगाहों पर तकनीकी वार्ता” का आयोजन किया गया। इस उच्चस्तरीय संवाद का उद्देश्य भारत में मछली पकड़ने के लिए पर्यावरण-अनुकूल बंदरगाहों (Eco-Fishing Ports) की अवधारणा को साकार करना, तथा आधुनिक, स्मार्ट और हरित अवसंरचना को प्रोत्साहन देना था।
तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता
वार्ता की अध्यक्षता संयुक्त सचिव (समुद्री), मत्स्य विभाग, सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद ने की। कार्यक्रम में एएफडी की कंट्री डायरेक्टर सुश्री लिसे ब्रूइल, डिप्टी कंट्री डायरेक्टर केमिली सेवरैक, तथा फ्रांसीसी दूतावास के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार पाब्लो अहुमदा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इस तकनीकी संवाद में फ्रांस, इंडोनेशिया, एफएओ (FAO), एशियाई विकास बैंक, आईआईटी मद्रास, समुद्री खाद्य निर्यात संघ, तथा विभिन्न राज्य मत्स्य विभागों और निजी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
चर्चा के प्रमुख विषय..
तकनीकी सत्रों में चार प्रमुख विषयों को शामिल किया गया:
-
इको पोर्ट की अवधारणा और वैश्विक पहलें
– स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाह डिज़ाइन
– टिकाऊ निर्माण अभ्यास
– FAO की ब्लू पोर्ट्स रणनीति -
सामुदायिक सहभागिता और बंदरगाह प्रबंधन
– सह-प्रबंधन समितियाँ
– निजी मॉडल
– निर्यात वृद्धि के उपाय -
पर्यावरणीय स्थिरता
– हरित पोत डिज़ाइन
– स्वच्छता उपाय
– पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन -
निगरानी, मूल्यांकन और दीर्घकालिक रखरखाव
– समुद्री प्रदूषण नियंत्रण
– सफलता मॉडल
– लागत-लाभ विश्लेषण
– प्रदर्शन संकेतक
AFD के वैश्विक अनुभवों का लाभ उठाते हुए, इन सत्रों में ब्लू इकॉनॉमी, जलवायु अनुकूल रणनीतियों, और सामुदायिक शासन मॉडल पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
भारत में मत्स्य क्षेत्र की स्थिति और रणनीति
भारत की 11,099 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा और समृद्ध जलीय संसाधन देश को विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बनाते हैं। भारत का मत्स्य निर्यात 2023-24 में ₹60,523.89 करोड़ तक पहुंच गया है, जो 2013-14 की तुलना में दोगुना है। भारत 192 से अधिक देशों को समुद्री खाद्य निर्यात करता है, जिनमें चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, और जापान प्रमुख बाजार हैं।
हालांकि, यह क्षेत्र बुनियादी ढांचे की कमी, सीमित बाजार पहुंच, और जलवायु परिवर्तन जैसी कई चुनौतियों से जूझ रहा है।
इस परिप्रेक्ष्य में, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत सरकार द्वारा ₹9,832.95 करोड़ की लागत से 117 मछली बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों के निर्माण/आधुनिकीकरण/ड्रेजिंग की स्वीकृति दी गई है। साथ ही, दमन एवं दीव (वनकबारा), पुडुचेरी (कराईकल) और गुजरात (जखाऊ) में तीन स्मार्ट और एकीकृत बंदरगाहों का विकास प्रस्तावित है।
प्रौद्योगिकी और नवाचार: इको-स्मार्ट पोर्ट की ओर
“ब्लू पोर्ट्स” पहल के तहत भारत सरकार एफएओ के साथ साझेदारी में आधुनिक तकनीकों को मछली बंदरगाहों में शामिल कर रही है। इनमें शामिल हैं:
-
वर्षा जल संचयन प्रणाली
-
ऊर्जा-कुशल एलईडी प्रकाश व्यवस्था
-
इलेक्ट्रिक उपकरण
-
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित निगरानी
-
रिमोट सेंसिंग और डेटा एनालिटिक्स
-
सौर और पवन ऊर्जा के माध्यम से हाइब्रिड ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली
इन नवाचारों का उद्देश्य मछली पकड़ने के बंदरगाहों को जलवायु के अनुकूल, भविष्य के लिए तैयार, और समुदाय के लिए लाभकारी बनाना है।
भारत का हरित और टिकाऊ समुद्री भविष्य
इस तकनीकी वार्ता ने भारत के मत्स्य बंदरगाह अवसंरचना को नए दृष्टिकोण और वैश्विक मानकों के साथ जोड़ने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है। इको-फिशिंग पोर्ट्स न केवल मत्स्य उत्पादों की गुणवत्ता और निर्यात को बढ़ावा देंगे, बल्कि तटीय समुदायों की आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और समावेशी विकास को भी सुनिश्चित करेंगे।
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत ब्लू इकॉनॉमी का वैश्विक अग्रदूत बने, जहां आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ समुद्री पारिस्थितिकी का संतुलन भी कायम रखा जा सके।