डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को ‘बेस्ट जियोस्पेशियल 2024’ अवार्ड

IIT बॉम्बे ने DRPCAU पूसा को किया सम्मानित

कृषि में ओपन-सोर्स जियोस्पेशियल तकनीकों के उपयोग में उत्कृष्ट योगदान के लिए IIT बॉम्बे की FOSSEE टीम ने किया सम्मानित

📌 समस्तीपुर, बिहार। कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के अपने सतत प्रयासों के तहत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (DRPCAU) को ‘बेस्ट जियोस्पेशियल 2024 अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार भारत सरकार के मिशन ऑन जियोस्पेशियल प्लेटफॉर्म के अंतर्गत विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और ओपन-सोर्स जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी के प्रभावी उपयोग के लिए प्रदान किया गया।

यह सम्मान देश की प्रतिष्ठित संस्था आईआईटी बॉम्बे की एफओएसएसईई (FOSSEE) जीआईएस टीम द्वारा प्रदान किया गया, जो राष्ट्रीय स्तर पर फ्री/लिब्रे ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर फॉर जियोस्पेशियल इंफॉर्मेशन सिस्टम्स (GIS) को प्रोत्साहित करने का कार्य करती है। विश्वविद्यालय को यह सम्मान कृषि अनुसंधान, शैक्षणिक प्रशिक्षण और ग्रामीण विकास में ओपन-सोर्स तकनीकों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए दिया गया है।

📝 नवाचार और स्वदेशी तकनीकों का उपयोग

DRPCAU ने कृषि क्षेत्र में कई अभिनव प्रयास किए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • इसरो की ‘नाविक’ तकनीक, ओपन-सोर्स GIS टूल्स और सस्ते हार्डवेयर उपकरणों का प्रयोग

  • कृषि संसाधनों का जियोस्पेशियल मैपिंग, जिससे भूमि उपयोग की योजना और जलवायु परिवर्तन के अनुसार खेती के तरीके तय किए जा सके

  • डिजिटल कृषि (Digital Agriculture) को बढ़ावा देना

  • सटीक खेती (Precision Farming) और टिकाऊ ग्रामीण आजीविका की दिशा में अहम योगदान

इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने ओपन-सोर्स GIS टूल्स को छात्रों के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में भी शामिल किया है। इसके माध्यम से न केवल छात्रों को आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जा रही है, बल्कि कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही गांव स्तर की सहभागिता आधारित योजना (Participatory Planning) में भी इन तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कुलपति का वक्तव्य

इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय ने कहा,

“यह सम्मान हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव का क्षण है। यह पुरस्कार इस बात का प्रमाण है कि हम कृषि में स्वदेशी, सुलभ और सतत तकनीकी समाधानों को अपनाकर एक नई दिशा दे रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य तकनीक को केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रखकर उसे किसानों के खेतों तक पहुंचाना है, ताकि उपज में सुधार हो और किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

✅  राष्ट्रीय स्तर पर सराहना

एफओएसएसईई परियोजना, जिसे शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की ‘राष्ट्रीय सूचना और संचार प्रौद्योगिकी शिक्षा मिशन (NMEICT)’ के अंतर्गत समर्थन प्राप्त है, ने DRPCAU को कृषि क्षेत्र में GIS शिक्षा के लोकतंत्रीकरण का अग्रणी संस्थान बताया है।

🏷️ सारांश

यह सम्मान यह दर्शाता है कि DRPCAU पूसा, पारंपरिक कृषि ज्ञान को आधुनिक ओपन-सोर्स तकनीकों के साथ जोड़कर भारत के कृषि भविष्य को सशक्त बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय की यह पहल न केवल बिहार राज्य में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी प्रेरणा का स्रोत बन रही है।

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