जलवायु स्मार्ट खेती की तकनीकों से सशक्तिकरण

 

किसानों को जलवायुस्मार्ट तकनीकों से सशक्त बना रहा है ICAR-IARI

इन दिनों विकसित कृषि संकल्प अभियान देश में चल रहा है। इस के अंतर्गत, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI) ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और बागपत तथा हरियाणा के भिवानी और रोहतक जिलों में प्रभावशाली विस्तार कार्यक्रम आयोजित किए। इस पहल का उद्देश्य किसानों को उन्नत और टिकाऊ कृषि तकनीकों के माध्यम से जलवायु प्रतिरोधी खेती के लिए सशक्त बनाना है, साथ ही खरीफ फसलों की उन्नत तकनीकों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की जानकारी देना है।

अभियान के तहत अलीगढ़ के खैर ब्लॉक स्थित राजपुर क्लस्टर (NICRA द्वारा अपनाए गए गाँवों) में एक प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन ICAR-IARI की NICRA–राजपुर क्लस्टर टीम द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों को जलवायु-संवेदनशील कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए व्यावहारिक ज्ञान और उपकरण प्रदान करना था, विशेष रूप से डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक पर केंद्रित रहा।

 

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. एस. नरेश कुमार, अध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान, ICAR-IARI द्वारा स्वागत भाषण और जलवायु लचीली कृषि (CRA) पर ओरिएंटेशन के साथ हुई। सत्रों में विभिन्न जलवायु-स्मार्ट पद्धतियों पर प्रकाश डाला गया:

  • सीधी बुवाई धान (DSR) तकनीक: जल की बचत, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, और विलंबित मानसून की स्थिति में समय पर बुवाई में सहायक।
  • समेकित खरपतवार प्रबंधन: DSR खेतों में लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल खरपतवार नियंत्रण।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित पोषक प्रबंधन: संतुलित और मृदा अनुरूप उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देना।
  • समेकित पौध संरक्षण: जैविक एवं सांस्कृतिक उपायों पर आधारित कीट प्रबंधन।
  • सामुदायिक क्रियान्वयन मॉडल: समूह आधारित जलवायु लचीली तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को संगठित करना।

हाथों-हाथ अपनाने के लिए किसानों को DSR बीज, खरपतवारनाशक और स्प्रेयर वितरित किए गए। इस महत्वपूर्ण इनपुट वितरण का नेतृत्व डॉ. विश्वनाथन चिन्नुस्वामी (संयुक्त निदेशक, अनुसंधान) और डॉ. आर. एन. प पडारिया (संयुक्त निदेशक, विस्तार) ने किया। उनके नेतृत्व में संस्थान द्वारा अनुसंधान और जमीनी क्रियान्वयन के बीच की खाई को पाटने की प्रतिबद्धता को दर्शाया गया।

इसके अतिरिक्त, ICAR-IARI की टीमों ने रोहतक, बागपत और भिवानी में 9 अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जिनमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्राकृतिक एवं जैविक खेती, तथा संसाधनों की दक्षता बढ़ाने वाली तकनीकों को बढ़ावा दिया गया, जिससे उत्पादन लागत में कमी लाई जा सके। इन सभी कार्यक्रमों में कुल मिलाकर 2500 से अधिक किसान शामिल हुए। उन्होंने प्रायोगिक प्रदर्शन और विशेषज्ञ परामर्श के माध्यम से खरीफ सीजन के लिए DSR एवं अन्य जलवायु-संवेदनशील पद्धतियों को अपनाने की जानकारी प्राप्त की। यह अभियान ICAR-IARI की विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत अग्रणी पहल है, जो नवाचारों, संसाधन दक्ष तकनीकों और जलवायु लचीली कृषि को देशभर में गति प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध है। बदलते जलवायु परिदृश्य में ऐसी पहलें भारतीय कृषि की दीर्घकालिक स्थिरता, उत्पादकता और लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

 

 

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