गर्मी में पशुओं की देखभाल कैसे करें!

गर्मी में पशुओं की देखभाल: स्वस्थ पशु, अधिक उत्पादन

गर्मी का मौसम पशुपालकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है। तापमान के अत्यधिक बढ़ने पर न केवल मनुष्यों को परेशानी होती है, बल्कि मवेशियों जैसे गाय, भैंस, बकरी और भेड़ भी इससे प्रभावित होते हैं। यदि समय रहते उचित देखभाल न की जाए तो दूध उत्पादन में गिरावट, बीमारियाँ और यहां तक कि पशुओं की मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे में गर्मी के मौसम में पशुओं की देखभाल के कुछ जरूरी उपायों को अपनाकर नुकसान से बचा जा सकता है।

छायादार आश्रय की व्यवस्था करें

सबसे पहली आवश्यकता है कि पशुओं को गर्मी और धूप से बचाया जाए। इसके लिए पशु शेड को छायादार और हवादार बनाए रखना आवश्यक है। छत पर घास या टीन की चादरों के ऊपर पानी का छिड़काव करने से तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है। शेड की दिशा उत्तर-दक्षिण होनी चाहिए ताकि हवा का प्रवाह बना रहे। यदि संभव हो तो पशुओं को दिन के समय बाहर धूप में जाने से रोकें।

पर्याप्त पानी की उपलब्धता

गर्मी में शरीर से पसीना और पानी की कमी ज्यादा होती है, इसलिए पशुओं के लिए साफ, ठंडा और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध कराना जरूरी है। पशुओं को दिन में कम से कम तीन से चार बार पानी पिलाएं। पानी के बर्तनों की नियमित सफाई जरूरी है ताकि संक्रमण न फैले।

संतुलित और हल्का आहार

गर्मी में भारी और गरिष्ठ चारा पशुओं की पाचन क्रिया पर असर डालता है। इसलिए इस मौसम में उन्हें हल्का, सुपाच्य और ऊर्जा युक्त आहार दें। हरा चारा जैसे बरसीम, नेपियर घास, और हरे मक्के का चारा उत्तम रहता है। इसके साथ ही खनिज मिश्रण और नमक चाट का भी प्रबंध करें ताकि जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें।

ठंडक देने के उपाय अपनाएं

पशुओं के शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए उन्हें दिन में एक बार ठंडे पानी से नहलाना अच्छा होता है। भैंसों को विशेष रूप से तालाब या पानी के टैंक में डुबकी लगाने की सुविधा होनी चाहिए। इससे वे तनावमुक्त रहती हैं और दूध उत्पादन पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।

बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण

गर्मी में लू, हीट स्ट्रोक, थनैला (मास्टाइटिस) और फूट एंड माउथ डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए समय पर टीकाकरण करवाना चाहिए। पशुपालन विभाग से संपर्क कर आवश्यक टीकों और दवाओं की जानकारी लें।

मच्छर और कीट नियंत्रण

गर्मी में मच्छर, मक्खी और अन्य कीट तेजी से बढ़ते हैं जो पशुओं के लिए संक्रमण और परेशानी का कारण बनते हैं। इसके लिए पशु शेड में नीम के पत्ते का घोल , फिनायल का छिड़काव करना और नियमित सफाई बेहद जरूरी है।

नियमित निगरानी और विश्राम

हर पशु की स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है। अगर कोई पशु सुस्त दिखाई दे, खुराक न ले रहा हो, या दूध उत्पादन कम हो गया हो, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पशुओं को भरपूर आराम मिले, यह सुनिश्चित करें। अधिक गर्मी में काम में लगाने से बचाएं।

सारांश

पशुपालन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और गर्मी का मौसम एक बड़ी परीक्षा की घड़ी बन सकता है। उचित देखभाल, सतर्कता और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे उत्पादकता भी बनी रहती है और नुकसान से भी बचा जा सकता है।

गर्मी में पशुओं की देखभाल कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है — एक जिम्मेदार पशुपालक की पहचान भी।

यह भी पढ़ें

मवेशियों को आग से कैसे बचाएं? सुरक्षा के उपाय

Leave a Comment