किसानों और खरीदारों की ऐतिहासिक भेंट तवांग में
तवांग (अरुणाचल प्रदेश) कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में राज्य के तवांग शहर में कलावांगपो कन्वेंशन हॉल में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सह क्रेता-विक्रेता बैठक (आईबीएसएम) का भव्य आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत से कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देना और स्थानीय किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ना रहा।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल और भूटान से आए 11 अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों के अलावा भारत के सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों—असम, महाराष्ट्र, दिल्ली, हैदराबाद, कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल—से 17 प्रमुख भारतीय निर्यातक शामिल हुए। इनके साथ राज्य के 200 से अधिक किसान और 50 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी भागीदार बने। इस अवसर पर खरीदारों और निर्यातकों के बीच सीधे संवाद और व्यापारिक चर्चा हुई, जिससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता, उपलब्धता और उत्पादन क्षमता पर उपयोगी जानकारियां साझा की गईं।
मुख्यमंत्री ने जताई कृषि-आधारित विकास की प्रतिबद्धता
कार्यक्रम का उद्घाटन अरुणाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री पेमा खांडू द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में राज्य के कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में तेजी से विकास करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, स्वयं सहायता समूहों के सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व वाले विकास को प्राथमिकता दे रही है।
मुख्यमंत्री खांडू ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार जीआई टैग प्राप्त खाव ताई चावल (जिसे खामती चावल भी कहा जाता है), मंदारिन संतरे, कीवी, सेब, पर्सिमोन और याक चीज (चुरपी) जैसे उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए विशेष अभियान चलाएगी। उन्होंने निवेशकों और खरीदारों से राज्य की अपार संभावनाओं का लाभ उठाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में योगदान देने का आह्वान किया।
कृषि मंत्री ने किसानों के प्रशिक्षण पर दिया जोर
राज्य के कृषि मंत्री गेब्रियल डेनवांग वांगसू ने भी इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश के किसानों में जागरूकता और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है, जिससे वे अपने उत्पादों के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें। उन्होंने राज्य के किसानों की उनके समर्पण और उत्कृष्ट उत्पादन, विशेषकर कीवी, मंदारिन, सेब, अखरोट और वाइन जैसी फसलों के लिए सराहना की।
एपीडा ने निर्यात को लेकर रखी स्पष्ट रणनीति
इस कार्यक्रम में एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने भी सहभागियों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि एपीडा अरुणाचल प्रदेश के एफपीओ/एफपीसी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापार मेलों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे उन्हें बेहतर बाजार पहुंच, प्रचार और निर्यात के अवसर मिल सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि एपीडा और राज्य सरकार मिलकर केंद्रित कृषि उत्पादों की पहचान, उनकी ब्रांडिंग, बुनियादी ढांचे का विकास, किसानों का प्रशिक्षण, महिला स्वयं सहायता समूहों, स्टार्टअप्स और क्षेत्र के निर्यातकों के साथ सहयोग कर निर्यात को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए कटिबद्ध हैं।
कार्यक्रम में हुई सार्थक व्यापार चर्चा
बैठक के दौरान जैविक उत्पाद, बाजरा, शहद, ताजे फल और सब्जियां, मसाले, चाय और अन्य प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर केंद्रित चर्चाएं हुईं। इस मंच ने नीति निर्माताओं, खरीदारों, निर्यातकों, उद्योग विशेषज्ञों और किसानों के बीच संवाद को सशक्त किया, जिससे भविष्य की व्यापारिक संभावनाएं और साझेदारियों के रास्ते खुले।
इस भव्य कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव मनीष गुप्ता, भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय सचिव सिराज हुसैन सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।
विकसित पूर्वोत्तर’ दृष्टिकोण की ओर एक सशक्त कदम
यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “विकसित पूर्वोत्तर” के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल साबित हुआ। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, अरुणाचल प्रदेश सरकार और एपीडा के बीच बेहतर समन्वय और साझा प्रयासों से यह संभव हो पाया।
पृष्ठभूमि
एपीडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक वैधानिक निकाय है, जो कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने, सुविधा प्रदान करने और उसका विकास करने का कार्य करता है। यह संगठन किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), किसान उत्पादक कंपनियों और भारतीय निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करता है।
यह सम्मेलन न केवल राज्य के किसानों के लिए एक नई दिशा दिखाने वाला मंच बना, बल्कि अरुणाचल प्रदेश को कृषि निर्यात की वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी सिद्ध हुआ।
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