अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
डॉ. रुचि बंसल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के पादप क्रिया विज्ञान प्रभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। उनका जीवन एक साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण उपलब्धियों तक पहुंचने की कहानी कहता है। वह उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के छोटे से शहर जसपुर से ताल्लुक रखती हैं। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं डॉ. बंसल के पिता एक वकील थे और माँ एक गृहिणी थीं। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते, उन्होंने हमेशा जिम्मेदारी और अनुशासन का परिचय दिया।
प्रारंभिक शिक्षा और विज्ञान में रुचि
डॉ. रुचि की प्रारंभिक शिक्षा जसपुर के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। प्रारंभ से ही वे एक मेधावी छात्रा थीं और उनका झुकाव विज्ञान की ओर था। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, जसपुर से सीनियर सेकेंडरी की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने जीव विज्ञान में गहरी रुचि विकसित कर ली। वर्ष 2002 में उन्होंने आर एच गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, काशीपुर से बी.एस.सी. (जूलॉजी, बॉटनी और केमिस्ट्री) की पढ़ाई पूरी की। अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए उन्हें कई प्रमाण पत्र भी मिले।
उच्च शिक्षा और संघर्ष का दौर
2004 में उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर से प्लांट फिजियोलॉजी में एम.एससी. किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षण स्नातक सहायता भी प्राप्त की, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली। हालांकि, उनके जीवन में संघर्षों का दौर तब आया जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया। इस घटना ने उनके जीवन में अस्थिरता ला दी, जिससे उनकी शिक्षा कुछ समय के लिए बाधित हो गई।
चार वर्षों तक उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय में आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में आनुवंशिकी विभाग में विभिन्न परियोजनाओं पर काम किया। यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में उनकी पहली नियुक्ति थी, और उनकी हमेशा से इच्छा थी कि वे एक दिन इस प्रतिष्ठित संस्थान में कार्यरत हों। आत्मनिर्भर महिलाओं को देखकर उन्हें हमेशा प्रेरणा मिलती थी, और यही प्रेरणा उनके संकल्प को मजबूत बनाती रही।
पीएचडी और करियर में उन्नति
अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने पीएचडी करने के लिए कड़ी मेहनत की। 2008 में उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित सीनियर रिसर्च फेलोशिप परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्लांट फिजियोलॉजी में पीएचडी के लिए प्रवेश लिया। अपनी पीएचडी के दौरान उन्होंने कृषि अनुसंधान सेवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा की और 2009 में उनका चयन वैज्ञानिक के रूप में हो गया। 2011 में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गईं।
उल्लेखनीय योगदान और उपलब्धियां
डॉ. रुचि की पहली नियुक्ति औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय, आनंद, गुजरात में हुई, जहां उन्होंने विभिन्न औषधीय पौधों पर अनुसंधान किया। तीन वर्षों के बाद, उन्हें राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उन्होंने आठ वर्षों तक सेवा दी और वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर पदोन्नत हुईं। उन्होंने इस संस्थान में पादप आनुवंशिक संसाधनों के लक्षण वर्णन और मूल्यांकन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2022 में वे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में स्थानांतरित हो गईं। उनके शोध और नवाचार के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें इंडियन सोसाइटी ऑफ प्लांट फिजियोलॉजी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवार्ड, 2016 में ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा प्रयास अनुसंधान फ़ेलोशिप, जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 2018 में बायोकेयर फ़ेलोशिप और 2022 में विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड द्वारा इंटरनेशनल रिसर्च एक्सपीरियंस फ़ेलोशिप प्रमुख हैं। उन्हें 2024 में भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी द्वारा महिलाओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम “विंग्स” में भाग लेने के लिए भी चुना गया।
योगदान और प्रेरणा
रुचि बंसल ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 60 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और प्रधान अन्वेषक एवं सह-प्रधान अन्वेषक के रूप में कई महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के अध्ययन में उनकी गहरी रुचि है।
उनकी कहानी यह दर्शाती है कि जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न आएं, यदि संकल्प मजबूत हो तो सफलता अवश्य मिलती है। उनका आदर्श वाक्य है – “कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।” वे चाहती हैं कि अधिक से अधिक महिलाएँ कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ें और अपनी क्षमताओं को साबित करें।
डॉ. रुचि बंसल की सफलता की यह गाथा संघर्ष, मेहनत, और समर्पण का जीवंत उदाहरण है। उनका जीवन न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। महिला दिवस के इस अवसर पर, हम उनके योगदान को नमन करते हैं और आशा करते हैं कि वे भविष्य में भी अपनी शोध और वैज्ञानिक उपलब्धियों से समाज को प्रेरित करती रहेंगी।
Feeling so proud of you, life is full of struggles,life is not a smooth line,it is a zig zag path
full of thorns as well as roses,
please enjoy it very bravely,
with all good wishes
Yr eldest sister
Chhavi ❤️
Congratulations Ruchi
Congratulations for your amazing achievement 💐💐