🌾विश्व खाद्य दिवस 2025 : “बेहतर भोजन, बेहतर भविष्य” की ओर भारत के कदम
हर वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा, पोषण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति को सुरक्षित, पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना मानवता की साझा जिम्मेदारी है।
भोजन जीवन का आधार है — स्वास्थ्य, विकास और कल्याण का प्रमुख स्तंभ। फिर भी, खाद्य उत्पादन में हुई प्रगति के बावजूद विश्वभर में करोड़ों लोग अब भी भूख और कुपोषण से जूझ रहे हैं। यही कारण है कि इस वर्ष का विषय “बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए साथ-साथ” (Together for Better Food and Better Future) वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर बल देता है।
🔹विश्व खाद्य दिवस का इतिहास
यह दिवस 1945 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। इसे पहली बार 1981 में “भोजन सर्वप्रथम” विषय के साथ मनाया गया था। आज यह दिवस 150 से अधिक देशों में मनाया जाता है और संयुक्त राष्ट्र कैलेंडर के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय दिवसों में से एक है।
🔹भारत का योगदान: पोषित और आत्मनिर्भर राष्ट्र की दिशा में
भारत ने कुपोषण घटाने, गरीबी उन्मूलन और कृषि स्थिरता बढ़ाने के लिए अनेक योजनाओं और नीतियों के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है। देश के प्रयास हर नागरिक तक पौष्टिक भोजन पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
पिछले एक दशक में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 90 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ा है, वहीं फल और सब्जी उत्पादन में भी 64 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है। भारत दूध और बाजरा उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है तथा फल, सब्जियों और मछली उत्पादन में दूसरा।
🔹सरकारी योजनाएं जो सुनिश्चित करती हैं “हर थाली में पोषण”
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
2007-08 में शुरू इस मिशन का उद्देश्य धान, गेहूं और दालों का पैदावार बढ़ाना था। 2024-25 में इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM) नाम दिया गया, जिसमें उत्पादन के साथ पोषण पर भी समान बल दिया गया।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA)
यह कानून ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% परिवारों को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराता है। देश के लगभग 78.9 करोड़ लाभार्थी इस योजना से जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
कोविड-19 महामारी के दौरान प्रारंभ की गई इस योजना के तहत जरूरतमंद परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसकी अवधि 1 जनवरी 2024 से अगले पाँच वर्षों के लिए बढ़ाई है, जिसका कुल वित्तीय परिव्यय ₹11.80 लाख करोड़ है।
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य देश में दलहन उत्पादन बढ़ाकर दो करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है।
🔹भारत का ग्लोबल नेतृत्व
सितंबर 2025 में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में 90 से अधिक देशों की भागीदारी रही, जिसने भारत को “वैश्विक खाद्य केंद्र” के रूप में स्थापित किया।
वहीं, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट ने भारतीय थाली को टिकाऊ और पौष्टिक आहार का वैश्विक उदाहरण बताया — यह प्रमाण है कि भारत की पारंपरिक खाद्य संस्कृति न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी।
🔹सारांश
विश्व खाद्य दिवस 2025 हमें यह स्मरण कराता है कि “भोजन केवल पोषण नहीं, मानवता का अधिकार है।”
भारत के व्यापक कार्यक्रम — उत्पादन से लेकर वितरण तक — यह दर्शाते हैं कि देश भूख और कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। “बेहतर भोजन, बेहतर भविष्य” के इस संकल्प के साथ भारत एक ऐसे टिकाऊ खाद्य तंत्र की ओर अग्रसर है, जहाँ हर नागरिक के जीवन में पोषण, समृद्धि और संतुलन का स्वाद हो।