दाल और तेल पर राहत की खबर: पैदावार में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
उगाओ, खाओ, बचाओ – किसानों को आत्मनिर्भर बना रही सरकार
रिपोर्ट– आशुतोष शुक्ल
लखनऊ– थाली में दाल होगी भरपूर और रसोई में नहीं होगी तेल की किल्लत — योगी सरकार की नीतियों का असर अब धरातल पर दिखने लगा है। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की दलहन और तिलहन पैदावार बढ़ाने की रणनीति के चलते राज्य आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से अग्रसर है। यही कारण है कि आने वाले वर्षों में महंगाई के झटकों से रसोई को राहत मिलने की पूरी उम्मीद है।
📊 आंकड़े दे रहे आत्मनिर्भरता की गवाही..
पिछले आठ वर्षों के सरकारी आंकड़े इस बदलाव की गवाही दे रहे हैं। 2016-17 में जहां प्रदेश में दलहन का पैदावार 23.95 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2024-25 तक यह आंकड़ा 35.18 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। तिलहन की पैदावार में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। 2016-17 में 12.40 लाख मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन अब 2024-25 में 29.20 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अगर इसी तरह उपज और रकबे में बढ़ोतरी होती रही, तो कुछ ही वर्षों में उत्तर प्रदेश इन दोनों खाद्य वस्तुओं के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा।
🌾 कैसे हो रहा है ये बदलाव..
यह सफलता यूं ही नहीं मिली। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और कृषि विभाग की सुनियोजित रणनीति का महत्वपूर्ण योगदान है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही दलहन और तिलहन को लेकर विशेष रणनीति बनाई गई थी, जिसके अंतर्गत 2027 तक 236 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का खाका तैयार हुआ।

सरकार ने मिनीकिट योजना के तहत उड़द, मूंग, अरहर, चना, मटर और मसूर जैसे दलहनी फसलों के बीज निःशुल्क वितरित किए हैं। अब तक 46.33 लाख मिनीकिट्स वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, किसानों को अनुदान पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
🧑🌾 किसानों को मिल रही आधुनिक खेती की ट्रेनिंग
सरकार की योजना सिर्फ बीज वितरण तक सीमित नहीं है। किसानों को आधुनिक खेती की जानकारी देने के लिए किसान पाठशालाओं, कृषि मेलों, और मंडल स्तरीय गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इन मंचों पर विशेषज्ञ किसान रोग-कीट प्रतिरोधी किस्मों, इंटरक्रॉपिंग, बार्डर लाइन बोइंग, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी तकनीकों से किसानों को अवगत करा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त गन्ने जैसी प्रमुख फसलों के साथ सहफसली खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे सीमित भूमि में अधिक उत्पादन संभव हो सके।
📉 पैदावार में वृद्धि से नियंत्रित होगी महंगाई?
फिलहाल प्रदेश में खाद्य तेलों की जरूरत का केवल 30-35% और दलहनों की जरूरत का 40-45% उत्पादन हो रहा है। जब कभी उत्पादन में गिरावट आती है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने से घरेलू कीमतें भी प्रभावित होती हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, इसलिए यहां मांग भी अधिक है और महंगाई का असर भी गहरा पड़ता है।
लेकिन सरकार को उम्मीद है कि 2026-27 तक दलहनी फसलों का रकबा बढ़कर 28.84 लाख हेक्टेयर और तिलहनी फसलों का रकबा 22.63 लाख हेक्टेयर हो जाएगा। इसके साथ ही मांग और आपूर्ति में संतुलन कायम हो सकेगा और आम आदमी की थाली में दाल और तेल की कमी नहीं होगी।
साराश:
योगी सरकार की योजनाबद्ध और दृढ़ नीतियों से उत्तर प्रदेश दलहन और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा चुका है। इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि आम जनता को भी महंगाई से राहत मिलेगी।