🔵 सहकारी डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्क्युलैरिटी पर अमित शाह ने की उच्चस्तरीय बैठक
नई दिल्ली–केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में तीन नई बहुराज्यीय सहकारी समितियों के गठन का निर्णय लिया गया, जिससे ग्रामीण भारत में डेयरी आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
🆕 तीन नई बहुराज्यीय सहकारी समितियां गठित होंगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” मंत्र को आगे बढ़ाते हुए सहकारी डेयरी क्षेत्र को पुनर्गठित किया जा रहा है। बैठक में निम्नलिखित तीन समितियों की स्थापना की घोषणा की गई:
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पशु आहार, रोग नियंत्रण और कृत्रिम गर्भाधान पर केंद्रित समिति
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गोबर प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक मॉडल विकसित करने वाली समिति
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मृत मवेशियों के अवशेषों के सर्क्युलर उपयोग को बढ़ावा देने वाली समिति
📰 श्वेत क्रांति 2.0 की परिकल्पना:
शाह ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि हम श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ें, जहां डेयरी सहकारिताओं का विस्तार हो, वे दक्ष और प्रभावशाली बनें और साथ ही एक ऐसा ढांचा तैयार हो जो पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी और चक्रीय अर्थव्यवस्था आधारित हो।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक एकीकृत सहकारी नेटवर्क तैयार करना अनिवार्य है।
🟤 💬 कार्बन क्रेडिट और तकनीकी नवाचार किसानों तक पहुंचे
अमित शाह ने कहा कि वैज्ञानिक मॉडल्स के माध्यम से कार्बन क्रेडिट का लाभ सीधे किसानों तक पहुँचना चाहिए। इसके साथ ही, सहकारी डेयरी संयंत्रों में खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने और दुग्ध संघों को सशक्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
🏡 ग्राम स्तरीय सहकारी समितियों को मिलेगी नई दिशा
बैठक में उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल सिंह गुर्जर, मुरलीधर मोहोल, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय, NDDB के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह और NABARD के अध्यक्ष शाजी केवी शामिल रहे।
अमित शाह ने कहा कि “ग्राम स्तरीय सहकारी समितियां न केवल डेयरी उत्पादन को सशक्त करती हैं बल्कि महिलाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करती हैं। ये समितियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रही हैं।”
अमूल मॉडल से मिली प्रेरणा, नीति निर्माण से ग्राम स्तर तक एकीकृत प्रयास
शाह ने ‘अमूल’ जैसे सहकारी मॉडल का उल्लेख करते हुए कहा कि “अब वह समय आ गया है जब निजी क्षेत्र के कार्य भी किसानों की सहकारी संस्थाएं स्वयं करेंगी।” उन्होंने कहा कि बायोगैस, गोबर प्रबंधन और कृषि-डेयरी आधारित प्रोसेसिंग के लिए एनडीडीबी द्वारा विकसित मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाएगा।
🏛️ सहकारिता से समृद्ध भारत की ओर
बैठक में यह भी स्पष्ट हुआ कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), NDDB और NABARD जैसे संस्थानों के सहयोग से केंद्र सरकार किसानों को केंद्र में रखकर योजनाएं बना रही है, जिससे ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सके।