नैफेड और एनसीसीएफ कर रहे खरीद
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में दालों की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने और किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के उद्देश्य से खरीफ सीजन 2024-25 के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद को मंजूरी दी है। यह निर्णय न केवल किसानों को सशक्त बनाएगा, बल्कि देश की दालों की आयात पर निर्भरता को भी कम करेगा।
क्या है योजना?
वर्तमान खरीद वर्ष 2024-25 के तहत केंद्र सरकार ने तय किया है कि राज्यों में उत्पादित तुअर, उड़द और मसूर का पूरा 100 प्रतिशत उत्पादन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीदा जाएगा। यह खरीद नैफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से की जा रही है।
इस योजना को और व्यापक बनाने के लिए बजट 2025 में यह घोषणा भी की गई कि वर्ष 2028-29 तक अगले चार वर्षों तक इसी तर्ज पर 100% खरीद की जाएगी। इससे देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
किसानों को राहत: 13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीद को मिली मंजूरी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख तुअर उत्पादक राज्यों में खरीफ 2024-25 सीजन के लिए कुल 13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर की खरीद को मंजूरी दी गई है।
इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश में किसानों की सुविधा को देखते हुए खरीद अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 22 मई 2025 तक कर दिया गया है।
कितनी हुई अब तक खरीद?
22 अप्रैल 2025 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में एमएसपी पर कुल 3.92 लाख मीट्रिक टन तुअर की खरीद हो चुकी है। इससे इन राज्यों के 2,56,517 किसान लाभान्वित हुए हैं।
तकनीक का उपयोग: ऑनलाइन पोर्टल के जरिए खरीद
केंद्र सरकार ने पारदर्शिता और सुविधा के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग भी सुनिश्चित किया है। किसान NAFED के “ई-समृद्धि” पोर्टल और NCCF के “ई-संयुक्ति” पोर्टल पर पंजीकरण कर अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकते हैं।
सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों से एमएसपी पर 100% खरीद सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह निर्णय देश को खाद्य सुरक्षा की दिशा में आत्मनिर्भर बनाने की नीति का हिस्सा है।
विश्लेषण: कृषि नीति के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम किसानों को उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ देश में दालों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। लंबे समय में इससे दालों के आयात पर खर्च में भी भारी कमी आएगी।