पशुपालन तकनीक से किसानों की आय में वृद्धि

देश में पशुपालन और डेयरी विभाग देश में पशुपालकों की आय को बढ़ाने के लिए आधुनिक पशुपालन तकनीकें, जैसे उन्नत प्रजनन प्रणालियां और बेहतर पोषण और कृषि तकनीकें अपनाने को प्रोत्साहित कर रहा है राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)-आरजीएम देशी बोवाईन नस्लों के विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है बोवाईन आबादी के आनुवंशिक विकास और बोवाईन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, जिससे जनजातीय समुदायों सहित सभी  किसानों को दूध उत्पादन से अधिक लाभ मिल सके। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से भेड़, बकरी और सूअर में नस्लों का आनुवंशिक सुधार करता है, साथ ही कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से उत्तम नर जर्मप्लाज्म के प्रसार से। भी वीर्य स्टेशन, वीर्य प्रयोगशालाओं और वीर्य बैंकों छोटे पशुओं के लिए कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों का निर्माण राज्यों को मदद करता है।

1 राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)

  • उद्देश्य: देशी बोवाइन नस्लों का विकास और संरक्षण, बोवाइन पशुओं के आनुवंशिक उन्नयन और दूध उत्पादन में वृद्धि। जिससे जनजातीय समुदायों सहित सभी समुदायों के किसानों के लिए दूध उत्पादन अधिक लाभकारी बन सके।
  • प्रमुख कदम:
    • कृत्रिम गर्भाधान का विस्तार।
    • संतति परीक्षण और नस्ल चयन के माध्यम से उच्च आनुवंशिक गुण वाले सांडों का उत्पादन।
    • सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग, जिससे 90% बछियों का उत्पादन हो।
    • आईवीएफ तकनीक का उपयोग, जिससे बोवाइन पशुओं के आनुवंशिक उन्नयन में तेजी आई।
    • जीनोमिक चयन और मैत्री तकनीशियनों को प्रशिक्षित करना।
  1. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम)
  • उद्देश्य: छोटे पशुओं (भेड़, बकरी, सूअर) के आनुवंशिक सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान, वीर्य स्टेशन, और वीर्य बैंकों का विकास।  पशु कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों का छोटे पशुओं हेतु उपयोग जैसी अवसंरचनाओं के विकास के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करता है।
  • प्रमुख कदम:
    • भेड़, बकरी और सूअर नस्लों के लिए कृत्रिम गर्भाधान का कार्य।
    • छोटे पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले नर जर्मप्लाज्म का प्रसार।
    • चारा और आहार क्षेत्र के लिए अनुसंधान और विकास कार्य।
  1. पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) 
  • उद्देश्य: खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और सीएसएफ जैसी बीमारियों के लिए टीकाकरण। अनुसंधान एवं नवाचार, प्रशिक्षण आदि जैसी पहलों के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाने के लिए सहायता कर रहा है
  • कार्यक्रम:
    • राजस्थान और झारखंड में क्रमशः 5.49 करोड़ और 2.96 करोड़ पशुओं को विभिन्न टीकों की खुराक दी गई।
    • पशु स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना।
  1. उद्यमिता योजना
  • उद्देश्य: ग्रामीण पोल्ट्री पक्षियों के लिए न्यूनतम 1000 पैरेंट लेयर्स वाले फार्मों की स्थापना।
  • प्रमुख पहल:
    • 50% पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाती है।
    • इस योजना के तहत किसान, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) आवेदन कर सकते हैं।
  1. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
  • उद्देश्य: डेयरी किसानों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करना।
  • प्रमुख पहल:
    • ई-गोपाला ऐप के माध्यम से पशुओं के पोषण और ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुसार संतुलित राशन खिलाना।
    • एथनो वेटरनरी मेडिसिन (ईवीएम) का उपयोग, जो एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग को कम करने में मदद करता है।
    • कृत्रिम गर्भाधान, बछड़े पालन, और उच्च गुणवत्ता वाले चारे के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण।
  1. राजस्थान और झारखंड में परियोजनाओं का कार्यान्वयन
  • राजस्थान:
    • 31 परियोजनाओं की कुल लागत 32744.59 लाख रुपये, जिसमें से 19032.66 लाख रुपये जारी किए गए हैं।
    • 6 परियोजनाओं की कुल लागत 27352.09 लाख रुपये, जिसमें 5477.47 लाख रुपये जारी किए गए हैं।
  • झारखंड:
    • 2024-25 के दौरान, एलएसडी (Lumpy Skin Disease) के लिए टीकाकरण किया गया, जबकि राजस्थान में 62.86 लाख गोपशुओं का टीकाकरण किया गया है।

इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों के जीवन स्तर में सुधार करना, पशुपालन में तकनीकी उन्नति लाना और पशुपालकों की आय में वृद्धि करना है।

Leave a Comment