उपचारित जल से सिंचित होगी 2,500 हेक्टेयर भूमि
इज़राइल के सहयोग से जोधपुर बनेगा देश का मॉडल शहर – उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग में अग्रणी बनने की दिशा में कदम
सलावास एसटीपी से उच्च गुणवत्ता वाले जल का कृषि में उपयोग बढ़ाने पर चर्चा, 2,500 हेक्टेयर भूमि सिंचित करने की संभावना
जोधपुर, – भारत और इज़राइल के बीच जल प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग के तहत जोधपुर जल्द ही उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग का देश का मॉडल शहर बनने की दिशा में अग्रसर है। इस दिशा में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण पहल हुई जब भारत में इज़राइली दूतावास की जल अटैशे सुश्री नोआ अमसालेम ने जोधपुर का दौरा किया।
उनका यह दौरा सलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से उपचारित अपशिष्ट जल के सटीक और टिकाऊ कृषि उपयोग हेतु पुनः उपयोग से जुड़ी सहयोगी परियोजना पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से किया गया था। यह परियोजना जल संरक्षण, पुनः उपयोग और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों के लिए सिंचाई के एक स्थायी साधन के रूप में कार्य करेगी।
जोधपुर में हुआ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
इस अवसर पर नगर निगम जोधपुर के आयुक्त सिद्धार्थ पालानीचामी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जोधपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (रीको), कृषि एवं जल संसाधन विभाग, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल, इज़राइली दूतावास, और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
बैठक में इज़राइल दूतावास के वरिष्ठ जल विशेषज्ञ श्री नीरज गहलावत ने वर्चुअली भाग लिया। उन्होंने इज़राइल में अपशिष्ट जल उपचार और पुनः उपयोग की उन्नत तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की और बताया कि कैसे वहां 90 प्रतिशत से अधिक अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग कृषि सिंचाई में किया जाता है।
जोधपुर बनेगा टिकाऊ जल प्रबंधन का उदाहरण
आयुक्त सिद्धार्थ पालानीचामी ने इस अवसर पर कहा कि नगर निगम जोधपुर, इज़राइल की तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव से सीख लेकर, उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग में देश का अग्रणी शहर बनने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि जोधपुर जल संसाधन प्रबंधन में आत्मनिर्भर बने और भविष्य में अन्य शहरों के लिए एक मॉडल के रूप में उभरे।”
उन्होंने इज़राइल के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह साझेदारी न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा देगी बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और कृषि उत्पादकता में भी सुधार लाएगी।
सलावास एसटीपी का निरीक्षण, गुणवत्ता पर संतोष
बैठक के पश्चात इज़राइली प्रतिनिधिमंडल ने सलावास स्थित एसटीपी का निरीक्षण किया। इस दौरान राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की क्षेत्रीय अधिकारी सुश्री कामिनी सोंगरा और पवन कुमार ने संयंत्र की कार्यप्रणाली, जल उपचार की तकनीक, और उपचारित जल की गुणवत्ता पर विस्तृत जानकारी दी।
सुश्री नोआ अमसालेम ने उपचारित जल की गुणवत्ता को देखकर संतोष व्यक्त किया और कहा कि,
“यह जल गुणवत्ता स्तर इज़राइल में प्राप्त मानकों के समान है। यदि इस जल के प्रत्यक्ष पुनः उपयोग की व्यवस्था की जाए, तो लगभग 2,500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल जल संरक्षण में मदद करेगी बल्कि किसानों को एक वैकल्पिक, स्थायी सिंचाई स्रोत भी उपलब्ध कराएगी।
भारत-इज़राइल सहयोग से खुलेगा जल प्रबंधन में नया अध्याय
गौरतलब है कि इज़राइल दुनिया का वह देश है जिसने जल प्रबंधन और अपशिष्ट जल पुनः उपयोग के क्षेत्र में वैश्विक मानक स्थापित किए हैं। देश में उत्पादित 90 प्रतिशत अपशिष्ट जल का उपचार किया जाता है और इसका अधिकांश भाग कृषि में उपयोग होता है।
जोधपुर नगर निगम, इज़राइली दूतावास और सीईईडब्ल्यू के बीच यह सहयोग भारत में नवाचार आधारित, संसाधन-कुशल और टिकाऊ जल प्रबंधन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल के माध्यम से जोधपुर को देश के अन्य नगरों के लिए प्रदर्शन परियोजना (Demonstration Project) के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे शहरी जल प्रबंधन और कृषि सिंचाई के नए रास्ते खुलेंगे।
अंत में, सुश्री कामिनी सोंगरा और सुश्री नोआ अमसालेम ने संयंत्र के विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया और भविष्य की तकनीकी साझेदारी पर चर्चा की। इस अवसर पर नगर निगम अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने जल पुनः उपयोग के नए मॉडल को जमीनी स्तर पर लागू करने की प्रतिबद्धता दोहराई।