किसानों के लिए बड़ी उम्मीद बनी पीएम आशा

रबी 2023-24: 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद, 2.75 लाख किसानों को लाभ
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहल है प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा), जो किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने, कृषि निवेश को प्रोत्साहित करने, और उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि का उद्देश्य रखती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का दायरा
एमएसपी नीति खरीफ और रबी मौसम में उगाई जाने वाली 24 प्रमुख फसलों को कवर करती है, जिनमें अनाज, श्रीअन्न (बाजरा), दालें, तिलहन, खोपरा, कपास, और जूट शामिल हैं। एमएसपी का निर्धारण उत्पादन लागत का 1.5 गुना किया जाता है, जिससे किसानों को न्यूनतम लाभ सुनिश्चित हो।
पीएम-आशा योजना, जो सितंबर 2018 में शुरू की गई थी, किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने और फसल कटाई के बाद के जोखिमों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। सितंबर 2024 में सरकार ने इसमें मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस), और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) को शामिल करते हुए इसे एकीकृत रूप में जारी रखने की स्वीकृति दी।
पीएसएस: मूल्य समर्थन योजना
यह योजना राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोध पर लागू की जाती है, जो अधिसूचित दलहन, तिलहन, और खोपरा की खरीद के लिए मंडी कर से छूट देने पर सहमत होते हैं।
  • खरीद की सीमा: 2024-25 में राज्य उत्पादन के 25% तक की खरीद की अनुमति है।
  • दालों में आत्मनिर्भरता: तुअर, उड़द, और मसूर की खरीद पर लगी अधिकतम सीमा समाप्त कर दी गई है।
किसानों के लिए सुरक्षा तंत्र
पीएम-आशा छोटे और सीमांत किसानों को बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचाने का काम करती है। यह योजना समय पर भुगतान सुनिश्चित कर किसानों की आय बढ़ाने में मदद करती है।
रबी 2023-24 सीजन में उपलब्धियाँ:
  • 6.41 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) दलहन की खरीद:
    • 2.49 एलएमटी मसूर
    • 43,000 मीट्रिक टन चना
    • 3.48 एलएमटी मूंग
    • कुल लागत: ₹4,820 करोड़
    • लाभार्थी किसान: 2.75 लाख
  • 12.19 एलएमटी तिलहन की खरीद:
    • कुल लागत: ₹6,900 करोड़
    • लाभार्थी किसान: 5.29 लाख
सोयाबीन खरीद: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
2024 खरीफ सीजन में, बाजार मूल्य एमएसपी से कम होने पर पीएसएस योजना के तहत 5.62 एलएमटी सोयाबीन की रिकॉर्ड खरीद की गई, जिससे 2.42 लाख किसानों को ₹2,700 करोड़ का लाभ मिला।
पिछले आँकड़े और प्रभाव
2018-19 से अब तक, 195.39 एलएमटी दलहन, तिलहन, और खोपरा की खरीद ₹1,07,433.73 करोड़ के एमएसपी मूल्य पर की गई है, जिससे 99.3 लाख किसानों को सीधा लाभ पहुँचा।
मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस)
इस योजना के तहत तिलहन उत्पादकों को एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर का भुगतान किया जाता है।
  • लाभ: किसानों को फसल के 40% तक भुगतान की व्यवस्था।
  • लचीलापन: राज्यों को पीएसएस और पीडीपीएस में से किसी एक को लागू करने का विकल्प मिलता है।
बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस)
यह योजना टमाटर, प्याज, और आलू जैसी खराब होने वाली फसलों के लिए बनाई गई है।
  • लागू तब होती है जब बाजार मूल्य सामान्य दरों से 10% कम हो।
  • मूल्य अंतर के कारण उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच असमानता को कम करती है।
किसानों की आशा का केंद्र
पीएम-आशा छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना न केवल बाजार मूल्य स्थिरता प्रदान करती है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में भी एक कदम है। यह बिचौलियों की भूमिका को कम करके किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में सहायक है।
पीएम-आशा सही मायनों में किसानों के लिए एक आशा की किरण है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में योगदान दे रही है।

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