मथुरा में किसानों से सीधा संवाद: बकरी अनुसंधान संस्थान और कृषि विभाग की अनूठी पहल
मथुरा– किसानों की समस्याओं को जमीनी स्तर पर समझने और उन्हें वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम (मथुरा), कृषि विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र, मथुरा के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष संवाद एवं जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान मथुरा और हाथरस जिलों के कुल 270 गाँवों में संचालित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से स्थानीय किसानों से सीधे संवाद स्थापित किया जा रहा है।
किसानों को मिल रही तकनीकी जानकारी
अभियान के तहत किसानों को कृषि की आधुनिक तकनीकों, बकरी पालन के उन्नत तरीकों, जैविक और प्राकृतिक खेती की विधियों, एवं सरकार द्वारा चलाई जा रही ग्रामीण विकास योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसके लिए गाँवों में संवाद सत्र, प्रशिक्षण कार्यशालाएं और प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों किसान उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।
सांसद हेमा मालिनी ने किया विशेष उत्पाद का विमोचन
इस विशेष अवसर पर मथुरा की सांसद एवं सुप्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीमती हेमा मालिनी ने केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित व्हे और बकरी के दूध से बने साबुन का विमोचन किया। उन्होंने उपस्थित किसानों, ग्रामीणों और संस्थान के अधिकारियों को इस उत्पाद की उपयोगिता एवं इससे जुड़े स्वास्थ्य लाभों की जानकारी दी।
सांसद हेमा मालिनी ने अपने संबोधन में कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और स्वदेशी उत्पादों का समावेश अत्यंत आवश्यक है। बकरी के दूध से बने इस साबुन जैसे उत्पाद किसानों को आर्थिक रूप से भी सक्षम बना सकते हैं।”
प्रशिक्षण एवं संवाद सत्र आयोजित
इस अभियान के दौरान कृषि तकनीक, पशुपालन, जैविक खेती, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और ग्राम विकास योजनाओं पर आधारित कई प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों का उद्देश्य किसानों को न केवल जानकारी देना है, बल्कि उन्हें व्यावहारिक रूप से सक्षम बनाना भी है, ताकि वे अपने खेतों और पशुधन के माध्यम से बेहतर उत्पादन कर सकें।
अभियान के पीछे की सोच
इस व्यापक अभियान का नेतृत्व “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसकी नोडल एजेंसी केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम है। इस अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. अनुपम कृष्ण दीक्षित ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों, किसानों और विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया।
डॉ. दीक्षित ने बताया कि संस्थान का उद्देश्य केवल अनुसंधान करना नहीं, बल्कि उन अनुसंधानों को किसानों तक पहुंचाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी है।
संक्षेप में, यह अभियान मथुरा और हाथरस के किसानों के लिए एक सशक्त मंच बनकर उभरा है, जहाँ न केवल उनकी समस्याओं को सुना जा रहा है, बल्कि उन्हें दीर्घकालिक समाधान भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कृषि और पशुपालन की यह समन्वित पहल निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी।