धनिया पत्ती की खेती: झटपट आमदनी देने वाली फसल

धनिया पत्ती की खेती के फायदे..

धनिया पत्ती, जिसे कोरिएंडर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक लोकप्रिय मसाले वाली फसल है। यह न केवल भारतीय व्यंजनों में स्वाद और खुशबू जोड़ता है, बल्कि इसकी खेती किसानों के लिए एक अच्छा आय का स्रोत भी है। इसकी साल भर खेती संभव है, जिससे इसे “झटपट पैसा देने वाली फसल” के रूप में जाना जाता है।

धनिया पत्ती की खेती के फायदे

कम लागत में अधिक पज: धनिया की खेती के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती। बीज, खाद, और सिंचाई पर कम खर्च आता है।

सालभर खेती: धनिया को सालभर उगाया जा सकता है, खासकर यदि सिंचाई की उचित व्यवस्था हो। यह किसानों को पूरे साल आय का साधन प्रदान करता है।

तेजी से तैयार होने वाली फसल: धनिया पत्ती की कटाई बुवाई के 30-40 दिनों के भीतर हो जाती है, जिससे कम समय में अच्छा मुनाफा मिलता है।

उच्च मांग: ताजा धनिया पत्ते का इस्तेमाल हर रसोई, होटल, और रेस्तरां में होता है। इसकी निरंतर मांग बाजार में इसकी कीमत बनाए रखती है।

औषधीय गुण: धनिया पत्ते का उपयोग आयुर्वेद में पेट की समस्याओं, रक्त शुद्धि, और प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे इसके औषधीय मूल्य में भी वृद्धि होती है।

बाजार और मांग

farming

धनिया पत्ती की हमेशा उच्च मांग रहती है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। सब्जी मंडियों, होटलों, और रेस्तरां में धनिया की खपत अधिक होती है। ताजा धनिया पत्ते का मूल्य मौसम के अनुसार बढ़ता-घटता है। इसके अतिरिक्त, सूखे धनिया पत्ते और बीजों का भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात किया जाता है।

  1. आदर्श तापमान:
    • धनिया के बीजों के अंकुरण के लिए 20°C से 25°C का तापमान सबसे उपयुक्त है।
    • पत्तों के अच्छे विकास के लिए 25°C से 30°C का तापमान आदर्श होता है।
  2. अत्यधिक तापमान से बचाव:
    • यदि तापमान 35°C से अधिक हो जाए, तो फसल की वृद्धि रुक सकती है और पत्ते जल्दी मुरझाने लगते हैं।
    • 10°C से कम तापमान पर फसल को ठंड से नुकसान हो सकता है, और उत्पादन प्रभावित होता है।

उपयुक्त वातावरण

  1. मौसम:
    • धनिया की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त है।
    • इसे रबी (ठंड के मौसम) और खरीफ (बरसात के मौसम) दोनों में उगाया जा सकता है।
  2. सूर्य प्रकाश:
    • धनिया के पौधों को मध्यम से तेज सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है।
    • यदि धूप अत्यधिक तेज हो, तो हल्की छाया की व्यवस्था करनी चाहिए।
  3. आर्द्रता (ह्यूमिडिटी):
    • धनिया की अच्छी वृद्धि के लिए 50% से 70% आर्द्रता उपयुक्त होती है।
    • अत्यधिक आर्द्रता (85% से अधिक) फंगस और रोगों के प्रकोप को बढ़ा सकती है।
  4. हवा का बहाव:
    • फसल क्षेत्र में हल्की हवा का बहाव पौधों के लिए लाभदायक होता है, क्योंकि यह बीमारियों और कीटों के प्रकोप को कम करता है।

अनुकूल मिट्टी और जल निकासी

  • मिट्टी का प्रकार: धनिया की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
  • pH स्तर: 6.0 से 7.5 के बीच का pH स्तर धनिया के लिए आदर्श है।
  • जल निकासी: खेत में पानी के उचित निकास की व्यवस्था होनी चाहिए। पानी का जमाव पौधों की जड़ों को सड़ने का कारण बन सकता है।

धनिया पत्ती की खेती के लिए 20°C से 30°C के बीच का तापमान, समशीतोष्ण जलवायु, मध्यम सूर्य प्रकाश, और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। इन परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए किसान बेहतर और गुणवत्ता वाली फसल की पैदावार कर सकते हैं।

राजीव कुमार

 

 

1 thought on “धनिया पत्ती की खेती: झटपट आमदनी देने वाली फसल”

  1. धनिया पत्ती की खेती के बारे में पढ़कर बहुत रोचक लगा। यह जानकर अच्छा लगा कि यह न केवल भारतीय व्यंजनों में महत्वपूर्ण है, बल्कि किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी है। क्या धनिया पत्ती की खेती में किसानों को कोई विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? मुझे लगता है कि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, लेकिन क्या मौसमी उतार-चढ़ाव इसकी कीमत को प्रभावित करते हैं? यह भी जानना चाहूंगा कि क्या धनिया पत्ती की खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है? क्या इसकी खेती में जैविक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है? मुझे लगता है कि धनिया पत्ती की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छी है। क्या आप इस बारे में और जानकारी साझा कर सकते हैं?

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