चीकू की खेती: हर साल लाखों की कमाई!

🍂 अब बागवानी से होगी बंपर कमाई!

आजकल किसान पारंपरिक खेती से हटकर फल-सब्जियों की ओर बढ़ रहे हैं। चीकू जिसे आम भाषा में ‘सपोटा’ कहा जाता है, एक बहुपयोगी और स्वादिष्ट फल है जिसकी खेती अब व्यावसायिक रूप से बड़े स्तर पर की जा रही है। यह फल न सिर्फ पोषण से भरपूर होता है, बल्कि इसकी बाजार में अच्छी मांग होने के कारण किसान इससे अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। कम देखरेख, लंबे समय तक उत्पादन क्षमता और बेहतर बाजार मूल्य के कारण चीकू की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बनती जा रही है। यदि सही तकनीक और जानकारी के साथ इसकी खेती की जाए, तो यह वर्षों तक लगातार आय का मजबूत स्रोत बन सकती है।

चलिए जानें कि चीकू की खेती कैसे करें और इससे कितना मुनाफा कमाया जा सकता है।

🌳 चीकू की खेती: कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा

चीकू (Sapota) स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है, जिसे एक बार लगाने के बाद सालों तक फल मिलता है। इसकी खेती आज भारत के कई राज्यों में की जा रही है। चीकू में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन A, ग्लूकोज़ जैसे ज़रूरी पोषक तत्व होते हैं। इसका सेवन पेट और खांसी जैसी कई बीमारियों में फायदेमंद है।

🗺 भारत में कहां होती है सबसे ज़्यादा चीकू की खेती?

देशभर में करीब 65 हजार एकड़ भूमि पर चीकू की खेती होती है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, केरल और आंध्रप्रदेश प्रमुख राज्य हैं।

🌱 चीकू के लिए कौन सी मिट्टी और मौसम है बेहतर?
  • चीकू की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी होती है। यह 25°C से 40°C तापमान के बीच बेहतर बढ़ता है। हल्की दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, चीकू के लिए आदर्श मानी जाती है। भूमि का pH मान 6.0 से 8.0 तक उपयुक्त रहता है। बारिश: सालाना 150–200 सेमी पर्याप्त

🌿 चीकू की लोकप्रिय किस्में
  1. पीली पत्ती: छोटे और गोल फल, स्वादिष्ट

  2. पीकेएम-2: हाइब्रिड किस्म, 3-4 साल में फल

  3. काली पत्ती: एक पौधा देता है 150 किलोग्राम उत्पादन

  4. क्रिकेट बॉल: मोटा फल, पतला छिलका, अच्छा स्वाद

  5. बारहमासी: पूरे साल फल देने वाली किस्म

🚜 खेती की तैयारी ऐसे करें
  • चीकू की खेती के लिए ग्राफ्टेड (कलम से तैयार) पौधों का उपयोग करना बेहतर होता है। बरसात के पहले जून-जुलाई में पौधों की रोपाई करना उचित रहता है। एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 400-450 पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों के बीच 6×6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए।

💧 सिंचाई और देखभाल

शुरुआती एक-दो साल तक नियमित सिंचाई जरूरी है। बाद में, सिंचाई 10-15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण, जैविक खाद (गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट) और रोग-कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल या जैविक कीटनाशक का प्रयोग करें।

🧹 खरपतवार नियंत्रण और देखभाल
  • पौधे के चारों ओर हल्की गुड़ाई करें

  • साल में 3–4 बार निराई पर्याप्त

  • जरूरत के अनुसार जैविक उपाय अपनाएं

🧺 तुड़ाई और बाजार में बिक्री
  • चीकू के फूल नवंबर–दिसंबर में आते हैं

  • मई से फल मिलने शुरू होते हैं

  • फल जब हल्के भूरे हो जाएं तब तुड़ाई करें

  • बाजार में थोक भाव ₹30–40 प्रति किलो तक मिल सकता है

💰 मुनाफा

चीकू की कीमत बाजार में ₹25-₹40 प्रति किलो तक मिलती है। एक हेक्टेयर से 10-15 लाख रुपये तक की बिक्री संभव है। यदि उत्पादन लागत ₹4-5 लाख है, तो किसान को 5-7 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ मिल सकता है। अच्छी तकनीक और उचित विपणन से यह मुनाफा और बढ़ सकता है।

👉 सारांश

अगर आप फल खेती में रुचि रखते हैं, तो चीकू एक बेहतरीन विकल्प है। इसकी खेती से न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि बाजार में मांग भी बनी रहेगी। चीकू की खेती कम लागत, कम देखभाल और अधिक मुनाफे वाली खेती है। यदि किसान वैज्ञानिक तरीकों से खेती करें, तो यह उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है। सरकार द्वारा समय-समय पर दी जा रही योजनाओं और प्रशिक्षणों से भी लाभ उठाया जा सकता है।

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