हरियाणा: सेम ग्रस्त भूमि के लिए नई शुरुआत, नई उम्मीद

सेम ग्रस्त जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए सरकार का विशेष अभियान

चण्डीगढ़, हरियाणा सरकार अब सेम ग्रस्त भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए विशेष प्रयासों में जुट गई है। राज्य के कृषि, किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने स्पष्ट किया है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है और अनुदान आधारित योजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है।

मंत्री राणा जिला झज्जर में कृषि और संबद्ध विभागों के अधिकारियों, जागरूक किसानों तथा मत्स्य पालकों के साथ आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि झज्जर जिले की सेम ग्रस्त भूमि का तत्काल सर्वेक्षण किया जाए और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए।

उन्होंने जानकारी दी कि झज्जर जिले में करीब 1,86,925 एकड़ भूमि सेम ग्रस्त है और इस साल कम से कम 10,000 एकड़ भूमि को सेम से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कृषि मंत्री ने कहा, “सेम ग्रस्त भूमि में जो लवणीय जल एकत्रित होता है, उसका उपयोग मत्स्य पालन के लिए किया जा सकता है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा।”

उन्होंने बताया कि सरकार इस दिशा में योजना बना चुकी है जिसके अंतर्गत सेम प्रभावित क्षेत्रों के पास तालाब खोदकर झींगा व अन्य मछलियों का पालन किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि झींगा पालन के लिए लवणीय जल सर्वाधिक उपयुक्त होता है और सरकार ने इसके लिए अनुदान आधारित योजनाएं लागू कर दी हैं। बैठक के दौरान बताया गया कि झज्जर जिले के बाकरा गांव के एक किसान ने इस योजना के तहत प्रोजेक्ट शुरू किया है। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस किसान को हरसंभव सहायता दी जाए और उन्होंने स्वयं इस प्रोजेक्ट के निरीक्षण की बात भी कही।

इसके साथ ही मत्स्य पालन मंत्री ने जानकारी दी कि मोबाइल वाटर टेस्टिंग लैब की सुविधा जल्द ही शुरू की जाएगी, जिससे मत्स्य पालकों को जल गुणवत्ता की जांच में आसानी होगी। इसके अलावा, अनुदान की सीमा और योजनाओं के दायरे को बढ़ाने पर भी सरकार विचार कर रही है।

मंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में बागवानी, मत्स्य पालन, पशुधन बीमा, सौर ऊर्जा, प्राकृतिक व जैविक खेती को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना और उन्हें रासायनिक खेती से हटाकर प्राकृतिक और टिकाऊ खेती की ओर प्रेरित करना है।

बैठक में जिलास्तरीय अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, स्थानीय किसान व मत्स्य पालक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी ने मंत्री के समक्ष अपने सुझाव और समस्याएं रखीं, जिन्हें सरकार ने संज्ञान में लेने का आश्वासन दिया।

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