चीनी मिलें बढ़ाएं टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण और जैव उर्वरक का उपयोग: गन्ना आयुक्त
लखनऊ -उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने प्रदेश की सभी चीनी मिलों को निर्देशित किया है कि वे गन्ने की खेती को अधिक लाभकारी और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने हेतु टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण तथा जैव उर्वरक/ बायोपेस्टीसाइड प्रयोगशालाओं की स्थापना सुनिश्चित करें।
एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में गन्ना आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आधुनिक तकनीकों और जैविक उपायों को अपनाए बिना गन्ने की गुणवत्ता और उत्पादकता में निरंतर वृद्धि संभव नहीं है।
🌱 टिश्यू कल्चर से गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन
टिश्यू कल्चर के माध्यम से रोगमुक्त, उन्नत एवं नई किस्मों के बीज गन्ने का त्वरित उत्पादन किया जा सकता है। गन्ना आयुक्त ने चीनी मिलों को निर्देशित किया है कि वे अपनी प्रयोगशालाओं में टिश्यू कल्चर तकनीक को अपनाएं ताकि बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार हो।
🧪 मृदा परीक्षण से बढ़ेगी उपज
चीनी मिल समूहों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में मृदा परीक्षण लैब स्थापित करें। इससे: हर किसान को स्वायल हेल्थ कार्ड मिलेगा मिल क्षेत्र का फर्टिलिटी मैप तैयार होगा उपयुक्त उर्वरकों के प्रयोग से फसल की गुणवत्ता में वृद्धि होगीउर्वरक की बर्बादी रुकेगी और लागत में कटौती होगी
🌿 जैव उर्वरकों व बायोपेस्टीसाइड का बढ़ेगा प्रयोग
पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि प्रणाली को ध्यान में रखते हुए गन्ना विभाग ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह जैव उर्वरक और बायोपेस्टीसाइड को बढ़ावा देने का फैसला लिया है। प्रत्येक मिल क्षेत्र में जैविक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी ताकि किसानों को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हो सकें।
🎯 सरकार की मंशा: टिकाऊ और लाभकारी गन्ना खेती
इस पहल का उद्देश्य है:
किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज और मिट्टी की सटीक जानकारी उपलब्ध कराना, उर्वरक और कीटनाशकों के दुरुपयोग को रोकना उत्पादन लागत घटाना और लाभ में वृद्धि, पर्यावरण को सुरक्षित रखना