10 वर्षों में 2900 नई फसलों की किस्में विकसित

उच्च उपज देने वाली नई किस्में किसानों के लिए लाभदायक

नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरईएस) के मानदंडों के अनुसार, फसल आधारित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) द्वारा स्थान-विशिष्ट उच्च उपज देने वाली किस्मों/बीजों का विकास एक सतत प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है। विकसित किस्मों को केंद्रीय उप-समिति द्वारा गहन जांच के बाद भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है।

10 वर्षों में 2900 नई किस्मों का विकास
पिछले एक दशक (2014-2024) में कुल 2900 स्थान-विशिष्ट उच्च उपज देने वाली क्षेत्रीय फसल किस्में विकसित की गई हैं। इनमें कीट व रोग प्रतिरोधी किस्मों की संख्या भी उल्लेखनीय है। प्रमुख फसलवार आंकड़े इस प्रकार हैं:

प्रतीकात्मक चित्र
  • चावल – 668 (588)
  • गेहूं – 178 (168)
  • बाजरा – 81 (75)
  • दालें – 437 (402)
  • तिलहन – 412 (342)
  • रेशा फसलें – 376 (345)
  • गन्ना – 88 (83)

बीज उपलब्धता और किसानों तक पहुंच
इन नई विकसित फसल किस्मों को बीज श्रृंखला में शामिल कर किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 2014 से अब तक 11.85 लाख क्विंटल प्रजनक बीजों का उत्पादन किया गया है। वर्तमान में रबी 2024-25 के लिए पर्याप्त बीज उत्पादन और खरीफ 2025 के लिए बीज प्रसंस्करण की योजना बनाई गई है।

कीट नियंत्रण और सरकार की पहल
कीटों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए विभिन्न जैविक व अजैविक उपाय अपनाने की सिफारिश की गई है। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं, जैसे पीएम फसल बीमा योजना, नमो किसान योजना, और एकीकृत फसल प्रबंधन के माध्यम से किसानों की आय वृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

बजट में भारी वृद्धि
केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण विभाग के बजट को 2013-14 के 21,933.50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2024-25 में 1,22,528.77 करोड़ रुपये कर दिया है, जिससे कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार की उम्मीद है।

तकनीकी जागरूकता और प्रसार
नई फसल किस्मों को मीडिया, सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। आईसीएआर और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा इन किस्मों का प्रदर्शन कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को मंजूरी
2024-25 से 2030-31 के दौरान घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ-ओएस) को स्वीकृति प्रदान की गई है।

कृषि मंत्री ने दी जानकारी
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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