खेती किसानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बीजों की खरीद। इसकी पहचान आवश्यक है। बीज की क्वालिटी का सीधा असर पैदावार पर पड़ता है। भारत सरकार ने बीज के सुदृढ व्यवसाय (उत्पादक/विक्रेता) तथा उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिये बीज अधिनियम 1966, बीज नियम 1968 एवं बीज (नियंत्रण) आदेश 1983 जारी किया है, जिसकी विभिन्न धाराओं के अंतर्गत बीज की क्वालिटी एवं व्यापार नियंत्रित है। इसके तहत बीजों के विक्रय, निर्यात, आयात और भंडारण, आदेश के अधीन बीजों को दी गई अनुज्ञप्ति के निबंधनों और शर्तो के अधीन एवं उसके अनुसार गुणवत्ता एवं व्यापार नियंत्रित होता है। Take special care in purchasing seeds
बीजों को वर्गीकृत किया गया है।
- खाद्यानों जिनमें खाद्य तेलों के बीज सम्मिलित है, तथा फलों एवं सब्जियों के बीज।
- कपास बीज।
- पशुओं के चारे के बीज।
- जूट बीज ।
एवं
उपरोक्त में खाद्यान फसलों के अतिरिक्त पशुचारे की पौध, कन्द, बल्ब, राइजोम, जडें, कटिंग,सभी तरह के ग्राफट तथा अन्य वानस्पतिक रूप से तैयार पौध सामग्री सम्मिलित होगी।
महंगे दामों पर बीज, खाद, खरपतवारनाशक और दवाई खरीदते समय यदि किसान कुछ बातों का ख्याल रखें तो वह अपनी फसल में नुकसान होने से बच सकता है अथवा उसे फसल में हुए नुकसान का मुआवजा भी प्राप्त हो सकता है। किसान खरीदारी करते समय यदि पक्का बिल प्राप्त करें और कृषि जानकारों की सलाह अनुसार ही बीज, खाद और दवाइयों का इस्तेमाल करें तो वह ऐसी स्थिति से बच जाएंगे।
पहचान कैसे करें
बीज मिलावट युक्त, कटा हुआ या सड़ा हुआ नहीं होना चाहिए, क्योंकि कटे बीज में अंकुरण एवं पोषण क्षमता कम होती है। बीज छोटा व सुखा नहीं होना चाहिए। बीज के अंदर नमी की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए ताकि अंकुरण अच्छे से हो सके। बीज में भौतिक शुद्धता का अपेक्षित स्तर होना बेहद जरुरी हैं।
रबी की बुवाई चल रही है। इसके लिए बीजों की खरीदारी करते समय सुनिश्चित करें कि बीज शुद्ध हो। हमेशा खरीदारी करते समय चौकन्ना और सतर्क रहें कि किसी जिस बीज की खरीदारी करना चाह रहे हैं, उसमें दूसरी फसल के बीज या घास आदि की मिलावट न हो. बीजों का अंकुरण प्रतिशत 80-90 फीसदी होना चाहिए।बीज की श्रेणी पहचानने के लिए टैग की जांच करें। प्रजनक बीज के लिए सुनहरा टैग, आधार बीज के लिए सफेद टैग और प्रमाणित बीज के लिए नीला टैग होता है। बीज के बैग पर अंकित एक्सपायरी डेट जरूर देखें। अगर एक्सपायरी डेट खत्म हो गई है, तो वह बीज नहीं खरीदें। बीज खरीदने के बाद ये सुनिश्चित करने के लिए कि बीजों की अंकुरण क्षमता मानक स्तर की है या नहीं, इसके लिए अंकुरण परीक्षण जरूरी होता है।
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर को देखते हुए, किसानों को रबी के मौसम में फसलों की खेती के लिए जलवायु सहनशील किस्मों के बीज खरीदने पर ध्यान देना चाहिए। तापमान में वृद्धि, सूखे की स्थितियां और जैसी समस्याओं के कारण फसलों की उपज में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसी स्थिति में पारंपरिक फसलें वातावरण में होने वाले बदलावों को सहन नहीं कर पाती हैं, जिससे किसानों को आशानुरूप उपज नहीं मिल पाती है. जलवायु सहनशील किस्में अधिक गर्मी को सहन करने में सक्षम होती हैं, जिससे फसल की वृद्धि पर इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ता है।जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की समस्या लगातार बढ़ रही है. जलवायु सहनशील बीजों की किस्में कम पानी में भी बेहतर पैदावार देती हैं, जिससे सूखे जैसी परिस्थितियों में भी किसान को नुकसान कम होता है।