किसानों तक अनुसंधान का लाभ पहुंचाने के निर्देश

शिवराज सिंह ने की बागवानी प्रभाग की समीक्षा

नई दिल्ली – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के बागवानी प्रभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वैश्विक उत्पादकता में भारत को ऊपरी पायदान पर लाने के लक्ष्य के साथ प्रतिबद्धता से काम करें।

बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे देश में सामाजिक-आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी, वैसे-वैसे फलों और सब्जियों सहित बागवानी उत्पादों की उपभोक्ता मांग में भी तेज़ी आएगी। ऐसे में बागवानी क्षेत्र में अनुसंधान का व्यापक लोकव्यापीकरण जरूरी है, ताकि देश के किसान इसका पूरा लाभ उठा सकें।

“उत्पादन के साथ गुणवत्ता भी बढ़े”

चौहान ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश कुछ बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में पहले से ही अग्रणी है, लेकिन अधिक उत्पादों में उच्च गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि पैदावार के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति और मजबूत हो।

किसानों तक पहुंचे अनुसंधान का लाभ

केंद्रीय मंत्री ने किसानों तक अनुसंधान आधारित जानकारी पहुंचाने की रणनीति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अनुसंधान की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए अभियान स्तर पर काम होना चाहिए। साथ ही बागवानी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी ठोस प्रयास होने चाहिए।”

कीटनाशकों पर सतर्कता और पोषक फसलों को बढ़ावा

चौहान ने बागवानी फसलों में कीटनाशकों के सीमित और वैज्ञानिक उपयोग की बात करते हुए कहा कि घातक रसायनों से बचते हुए पोषण से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक फसलों के उत्पादन पर बल देना होगा। उन्होंने आईसीएआर को निर्देश दिया कि फसलों में बीमारियों की रोकथाम के लिए शोध और तकनीकी उपायों को और प्रभावी बनाया जाए।

बेहतर नर्सरी और पौधों की गुणवत्ता पर बल

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों को अच्छी किस्म के पौधे और बीज नर्सरी स्तर से ही मिलें, इसके लिए प्रणाली को सशक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने इलायची, केसर, सूपारी और काली मिर्च जैसी विशेष फसलों पर केंद्रित अनुसंधान बढ़ाने के निर्देश भी दिए।

उत्पादक और उपभोक्ता के बीच संतुलन की आवश्यकता

चौहान ने आलू, प्याज और टमाटर जैसी फसलों के मूल्य चक्र पर चिंता जताते हुए कहा कि इन उत्पादों के मामले में किसान को मिलने वाला मूल्य और उपभोक्ता द्वारा दी जाने वाली कीमत के बीच का अंतर कम किया जाना चाहिए, जिससे लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे।

बैठक में आईसीएआर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने भी भाग लिया और बागवानी क्षेत्र में चल रहे अनुसंधान और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की। मंत्री ने इस अवसर पर वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए कहा कि नई और परंपरागत दोनों किस्मों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में उनका कार्य उल्लेखनीय है।

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