किसान सखियों के हाथों बदलेगी खेती की तस्वीर
लखनऊ, 21 अप्रैल। उत्तर प्रदेश में मिट्टी की सेहत और जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार प्राकृतिक खेती को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है। रासायनिक खेती से उपजे संकट और मिट्टी में भारी धातुओं की खतरनाक बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार अब विषमुक्त, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, आज विश्वभर की करीब 15 फीसदी खेती योग्य भूमि भारी धातुओं से प्रदूषित हो चुकी है। इसका असर 1.4 अरब से अधिक लोगों पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मिट्टी में आर्सेनिक, कैडमियम, लेड, क्रोमियम जैसी घातक धातुएं खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी हैं। ऐसे में समाधान के रूप में प्राकृतिक खेती को सबसे प्रभावी विकल्प माना जा रहा है।
प्राकृतिक खेती के लिए सरकार की ठोस रणनीति
योगी सरकार आने वाले दो वर्षों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 2.50 अरब रुपये खर्च करेगी। इस योजना के तहत 282 ब्लॉक और 2144 ग्राम पंचायतों के करीब 2.5 लाख किसानों को जोड़ा जाएगा। हर क्लस्टर 50 हेक्टेयर क्षेत्र का होगा, जिससे समग्र कृषि मॉडल विकसित किया जा सके।
किसानों को जागरूक करने के लिए ‘किसान सखियों’ की नियुक्ति की जाएगी, जिन्हें कृषि विज्ञान केंद्रों में प्रशिक्षण देकर हर माह ₹5000 का मानदेय दिया जाएगा। साथ ही, प्रत्येक जिले में दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर खोले जाएंगे, जिससे प्राकृतिक खेती के तकनीकी पक्ष को सशक्त किया जा सके।
बुंदेलखंड में गति पकड़ेगा गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन
बुंदेलखंड के सात जिलों—झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट में गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती मिशन को और विस्तार दिया जा रहा है। किसान गोबर और गोमूत्र से बनने वाले जीवामृत, बीजामृत और घनजीवामृत जैसे मिश्रणों का उपयोग सीख रहे हैं। अब तक 470 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं और 21,934 किसानों को जोड़ा गया है। 2535 “फार्मर्स फील्ड स्कूल” सत्रों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया है।
निराश्रित गोवंश की देखभाल से जुड़ेगा खेती का भविष्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निराश्रित गोवंश के संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश में अब तक 7700 से अधिक गो आश्रय केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं, जहां 12.5 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। इन केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में वर्मी कंपोस्ट इकाइयों की स्थापना, गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण तकनीक का प्रशिक्षण, और चारा संरक्षण हेतु उन्नत तकनीक अपनाई जा रही है।
राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र, झांसी की मदद से यह कार्य योजना क्रियान्वित की जा रही है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक 1.62 लाख निराश्रित गोवंश 1 लाख लाभार्थियों को दिए गए हैं।
पशुपालकों को मिलेगा आर्थिक संबल, शुरू होगी नंदनी कृषक समृद्धि योजना
राज्य सरकार पशुपालकों को स्वावलंबी बनाने हेतु “नंदनी कृषक समृद्धि योजना” शुरू करने जा रही है। इसके तहत 25 देशी नस्ल की गायों के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन के लिए 50% तक सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही “अमृतधारा योजना” के अंतर्गत दो से 10 गायों के पालन हेतु 10 लाख रुपये तक का आसान ऋण मिलेगा। तीन लाख तक के ऋण के लिए कोई गारंटर नहीं होगा।
बजट में भी दिखी प्रतिबद्धता, 2000 करोड़ का प्रावधान
वित्तीय वर्ष 2025 के बजट में छुट्टा गोवंश के संरक्षण हेतु 2000 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया गया है। इसके पहले अनुपूरक बजट में भी 1001 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बड़े गो आश्रय केंद्रों की लागत बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दी गई है और 543 नए गो आश्रय केंद्रों के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है। मनरेगा के अंतर्गत कैटल शेड और गोबर गैस यूनिट की सुविधा भी दी जा रही है।
प्राकृतिक खेती के सहारे स्वावलंबन की ओर गो आश्रय केंद्र
सरकार की मंशा है कि गो आश्रय केंद्र केवल पशु संरक्षण तक सीमित न रहें, बल्कि गो आधारित उत्पादों से आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें और प्राकृतिक खेती का आधार भी बनें। कोरोना महामारी के बाद ऑर्गेनिक उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ी है, जिससे किसान समुदाय को निर्यात से भी लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।
सारांश, योगी सरकार का यह अभियान केवल एक कृषि योजना नहीं, बल्कि जन, जल और जमीन की रक्षा का एक समग्र प्रयास है—जो सतत विकास, पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक नीति का संगम बनकर उभर रहा है।