उन्नत तकनीकों से बढ़ेगी मक्का की पैदावार
लखनऊ। बहुउपयोगी अनाज मक्का अब प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसकी खेती को प्रोत्साहन देने के साथ योगी सरकार ने 2027 तक मक्के का पैदावार दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप कृषि विभाग लगातार प्रयासरत है। हाल ही में लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी में कृषि मंत्री ने मक्का, अरहर और सरसों की खेती को बढ़ावा देने की अपील की।
सरकारी प्रोत्साहन का दिख रहा असर
पिछले आठ वर्षों में दलहन और तिलहन की तरह मक्के की खेती को भी किसानों ने हाथोंहाथ लिया है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन रहा, जिसे 2027 तक बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। इसके लिए खेती का रकबा बढ़ाने के साथ-साथ प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है।
इथेनॉल से लेकर पॉल्ट्री आहार तक, हर जगह है मांग
मक्का का उपयोग इथेनॉल उत्पादन, पशु व पोल्ट्री आहार, दवा, पेपर और एल्कोहल उद्योगों में होता है। इसके अलावा भुट्टा, आटा, बेबीकॉर्न और पॉपकॉर्न के रूप में यह भोजन का भी अहम हिस्सा है। यही वजह है कि इसे ‘फसलों की रानी’ कहा जाता है।
हर मौसम और हर मिट्टी में उपजाऊ
मक्का ऐसी फसल है जो तीनों फसली सीजन में उगाई जा सकती है और हर प्रकार की भूमि में इसकी खेती संभव है। बेहतर जल निकासी की व्यवस्था हो तो यह फसल अधिक लाभकारी साबित होती है। मक्का न केवल पोषण से भरपूर है बल्कि इसकी उपयोगिता भी बहुविध है।
एमएसपी के तहत सुरक्षा, बेहतर मूल्य की उम्मीद
सरकार ने मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत शामिल किया है, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। बढ़ती मांग के मद्देनज़र मक्के की खेती भविष्य में किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सरकार जागरूकता अभियानों और तकनीकी प्रशिक्षण के जरिए किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित कर रही है।
पैदावार बढ़ाने की असीम संभावना
विशेषज्ञों के अनुसार उन्नत कृषि तकनीकों के जरिए मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज को 100 क्विंटल तक पहुँचाया जा सकता है। जबकि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में यह औसत 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (2021-22) है। इसकी तुलना में तमिलनाडु में औसत उपज 59.39 क्विंटल है, जिससे उत्तर प्रदेश में संभावनाओं का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
खरीफ बोआई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक उपयुक्त समय
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (गोरखपुर) के प्रभारी डॉ. एस.के. तोमर बताते हैं कि खरीफ सीजन में मक्के की बुवाई 15 जून से 15 जुलाई के बीच करनी चाहिए। यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो, तो मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह से बुवाई संभव है। प्रति एकड़ लगभग 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अच्छी उपज के लिए पंक्तिबद्ध (लाइन से लाइन 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी) बुवाई को प्राथमिकता दी जाए। यदि संभव हो तो बेड प्लांटर का उपयोग करना लाभकारी रहेगा।