फिशरीज स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0: नवाचार और तकनीक का संगम!

मत्स्य पालन में डिजिटल क्रांति 10 स्टार्टअप्स को मिलेगा 1 करोड़!

हैदराबाद, तेलंगाना में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने  “मत्स्य पालन स्टार्टअप बैठक 2.0” का भव्य आयोजन किया। इस बैठक का उद्देश्य देश में मत्स्य पालन क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना, स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान करना और आधुनिक तकनीकों के उपयोग से इस क्षेत्र को अधिक सशक्त बनाना था।

बैठक का उद्घाटन एवं प्रमुख हस्तियां
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और पंचायती राज मंत्री  राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद द्वारा किया गया। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र में हो रहे नवाचारों की सराहना की और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।

फिशरीज स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0 की शुरुआत
इस बैठक में “फिशरीज स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0” की भी शुरुआत की गई। इस पहल के तहत 10 चयनित स्टार्टअप्स को 1 करोड़ रुपये तक का वित्तीय समर्थन प्रदान किया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में नवाचार, उद्यमशीलता और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना है। चयनित स्टार्टअप्स को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और अन्य संबद्ध संस्थानों से तकनीकी मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पहल स्टार्टअप्स को विनिर्माण सुविधाएं, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, और अपनी व्यावसायिक योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायता प्रदान करेगी।

एनएफडीपी मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ
मत्स्य पालन स्टार्टअप बैठक 2.0 के दौरान “राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) मोबाइल ऐप” भी लॉन्च किया गया, जो अब गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। यह ऐप मछुआरों, मछली किसानों, विक्रेताओं और प्रोसेसर के लिए एक डिजिटल मंच के रूप में कार्य करता है, जिससे वे औपचारिक वित्तीय और कल्याण प्रणालियों से जुड़ सकते हैं।

यह ऐप प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के लाभों तक पहुंच को सरल बनाता है और कई मॉड्यूल्स को सहजता से नेविगेट करने की सुविधा प्रदान करता है। एनएफडीपी मोबाइल ऐप के माध्यम से:

  • डिजिटल पंजीकरण की सुविधा
  • वित्तीय सहायता, बीमा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक पहुंच
  • मत्स्य सहकारी समितियों को सशक्त बनाना
  • ट्रेसबिलिटी में सुधार और बाजार संपर्क बढ़ाना संभव होगा।

यह ऐप स्वयं पंजीकरण के लिए 100 रुपये और सीएससी के वीएलई के माध्यम से पंजीकरण के लिए 76 रुपये का शुल्क निर्धारित करता है। वर्तमान में, इस प्लेटफॉर्म से 19 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता लाभान्वित हो रहे हैं।

भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास और सरकारी निवेश
भारत में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र लगभग 3 करोड़ लोगों की आजीविका का साधन बना हुआ है। 2015 से अब तक, सरकार ने इस क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं और पहल के माध्यम से 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस निवेश के परिणामस्वरूप 300 से अधिक मत्स्य पालन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिला है। ये स्टार्टअप्स ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नवीन तकनीकों का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ाने, ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करने और मूल्य श्रृंखला की दक्षता सुधारने में योगदान दे रहे हैं।

राजीव रंजन सिंह

तकनीकी नवाचारों पर जोर
मत्स्य पालन विभाग ने टिकाऊ मत्स्य पालन के लिए आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने पर भी जोर दिया है।

  • टिकाऊ स्रोतों से पौष्टिक और किफायती जलीय कृषि फ़ीड विकसित करने
  • एआई-संचालित सटीक खेती के माध्यम से जलीय कृषि की स्थिरता बढ़ाने
  • लचीली और समावेशी समुद्री भोजन आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण
  • समुद्री भोजन उद्योग में मूल्य को अधिकतम करते हुए अपशिष्ट को कम करने
  • मत्स्य पालन क्षेत्र में डिजिटल समाधान अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

सितंबर 2024 में, मत्स्य पालन विभाग ने डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए “राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी)” लॉन्च किया था। यह प्लेटफॉर्म मत्स्य पालन क्षेत्र में डिजिटल समावेशन और वित्तीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। यह पहल सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम को भी सशक्त बना रही है।

मत्स्य पालन स्टार्टअप बैठक 2.0 सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत मत्स्य पालन क्षेत्र को नवाचार, तकनीकी प्रगति और डिजिटल साधनों के माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है। इस बैठक के माध्यम से न केवल स्टार्टअप्स को मंच प्रदान किया गया बल्कि उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहायता देकर मत्स्य पालन क्षेत्र को और अधिक विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। आने वाले समय में, यह पहल इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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