IARI में अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक, कृषि नवाचारों पर जोर

फसल अनुसंधान और नई किस्मों का विकास

नई दिल्ली: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आज से दो दिवसीय अनुसंधान सलाहकार समिति (RAC) की बैठक शुरू हुई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रो. सुधीर के. सोपोरी, एमेरिटस सीनियर वैज्ञानिक, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी ने की।

बैठक के उद्घाटन सत्र में IARI के निदेशक डॉ. श्रीनिवास राव ने समिति के प्रतिष्ठित सदस्यों का स्वागत किया। बैठक में कृषि अनुसंधान और नवाचार को लेकर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें बासमती चावल के उत्पादन में IARI के योगदान, फसल विविधीकरण, जलवायु अनुकूल फसलों के विकास और आधुनिक कृषि तकनीकों को शामिल करने जैसे विषयों पर जोर दिया गया।

IARI के योगदान पर चर्चा

डॉ. राव ने बताया कि बासमती चावल के उत्पादन और व्यापार में IARI की किस्मों का योगदान 90% से अधिक है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संस्थान के प्रायोगिक खेत के दौरे और 109 फसल किस्मों को राष्ट्र को समर्पित करने की जानकारी भी साझा की गई। इनमें से 23 किस्में विशेष रूप से IARI द्वारा विकसित की गई थीं।

राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अनुसंधान


ICAR के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. डी.के. यादव ने IARI के बीज अनुसंधान की सराहना करते हुए वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुसंधान लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपील की। उन्होंने आनुवंशिक संवर्द्धन, कीट नियंत्रण, कार्बन खेती और ग्रीन केमिस्ट्री पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई।

नई फसल किस्मों का विकास


बैठक में डॉ. सी. विश्वनाथन ने IARI के शोध और विकास कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्ष 2023-24 में IARI द्वारा 13 फसल और 14 बागवानी फसल किस्में विकसित की गईं। बासमती चावल, गेहूं, मसूर, सरसों और बाजरा की बीज श्रृंखला में IARI की किस्मों की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। इसके अलावा, संस्थान द्वारा विकसित एक वैक्सी मकई की किस्म को जैव-एथेनॉल उत्पादन और पूर्वोत्तर भारत में खाद्य स्रोत के रूप में उपयोगी बताया गया।

कृषि में आधुनिक तकनीकों का समावेश


बैठक के अध्यक्ष प्रो. सोपोरी ने पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जीनोम संपादन और नैनो-प्रौद्योगिकी जैसी नवीनतम तकनीकों के उपयोग पर बल दिया। साथ ही, किसानों के फीडबैक को अनुसंधान प्राथमिकताओं में शामिल करने की आवश्यकता बताई।

विशेषज्ञों के सुझाव..
  • प्रो. के.सी. बंसल ने जैविक विज्ञान और आनुवंशिकी को अनुसंधान का हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
  • डॉ. सुरिंदर टिक्कू ने बायो-फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।
  • डॉ. पी.एस. नायक ने IARI की भूमिका को राष्ट्रीय शोध प्राथमिकताओं के अनुरूप मजबूत करने पर जोर दिया।
  • डॉ. विजय पॉल शर्मा ने दलहन और तिलहन उत्पादन में वृद्धि और मशीनीकरण को आवश्यक बताया।
  • डॉ. पायल मागो ने सामाजिक-आर्थिक नीतियों पर अधिक शोध करने की सलाह दी।
IARI की शोध उपलब्धियों पर चर्चा

बैठक में संस्थान के विभिन्न स्कूलों के शोध कार्यों की समीक्षा भी की गई। डॉ. रेनू पांडे (बेसिक साइंस), डॉ. गोपाल कृष्णन एस. (फसल सुधार) और डॉ. बी.एस. तोमर (बागवानी विज्ञान) ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए प्रमुख अनुसंधान कार्यों को प्रस्तुत किया।

बैठक के समापन सत्र में वैज्ञानिकों को अनुसंधान को अधिक प्रभावी बनाने और कृषि नवाचारों को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया।

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