महिला सशक्तिकरण: खेती में नई उड़ान!

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिला किसानों के लिए पूसा में विशेष ट्रेनिंग

नई दिल्ली, 8 मार्च 2025: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला किसानों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम उन्नत भारत अभियान और नई कृषि विस्तार पद्धतियों के तहत आयोजित हुआ। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों को सशक्त बनाना और कृषि में उनकी भागीदारी को बढ़ाना था।

75 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मथुरा और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिलों से आई महिला किसानों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, आईएआरआई के वैज्ञानिकों और छात्रों समेत कुल 75 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

महिला किसानों को नई कृषि तकनीकों की जानकारी दी गई

इस विशेष कार्यक्रम के दौरान महिला किसानों को खेती से जुड़ी नई तकनीकों और आधुनिक तरीकों की जानकारी दी गई। विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने महिला किसानों को खेती के नए-नए तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके और वे आत्मनिर्भर बन सकें।

कार्यक्रम में खासतौर पर निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई:
वाणिज्यिक फूलों की खेती – जिससे महिलाएं फूलों की खेती कर अच्छी आमदनी कमा सकती हैं।
संरक्षित खेती – ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अधिक उत्पादन करना।
पोषण और महिला सशक्तिकरण – महिलाओं को सही पोषण और स्वास्थ से जुड़ी जानकारियां देना।
फसल विविधीकरण – सिर्फ एक ही फसल उगाने के बजाय कई तरह की फसलें उगाकर अधिक मुनाफा कमाना।
आय और रोजगार के अवसर – खेती से जुड़े अलग-अलग कामों से ज्यादा आमदनी के तरीके।

महिला किसानों को मिली खेती में मदद

कार्यक्रम के अंत में महिला किसानों को खेती में मदद के लिए विशेष बीज किट दी गई।
🌱 वाटिका बागवानी और पोषण सुरक्षा के लिए पूसा सब्जी बीज किट वितरित की गईं।
🌾 मथुरा की महिला किसानों को धान की सीधी बुवाई और श्री विधि से धान की खेती करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज भी दिए गए।

वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने दी खास सलाह

इस कार्यक्रम में कई कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया और महिलाओं को खेती से जुड़ी नई जानकारियां दीं।

संस्थान के संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. आर. एन. पडारिया ने कहा कि अगर महिलाएं खेती में नई तकनीकों और आधुनिक तरीकों को अपनाएं, तो वे ज्यादा मुनाफा कमा सकती हैं। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीकी ज्ञान, शिक्षा और नवाचारों (इनोवेशन) की जरूरत पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में डॉ. मनजीत सिंह नैन, डॉ. मार्कंडेय सिंह, डॉ. सुभाश्री साहू, डॉ. सुकन्या बरुआ, डॉ. नफीस अहमद, डॉ. हेमलता, डॉ. अलका जोशी, डॉ. एन. वी. कुंभारे, डॉ. पुनीता और डॉ. मीशा माधवन जैसे कृषि विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। इन सभी ने महिला उद्यमियों की सफलता की कहानियां साझा कीं और महिला किसानों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

महिला किसानों का बढ़ा आत्मविश्वास

इस आयोजन से महिला किसानों को न केवल खेती की नई जानकारी मिली, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम उन्हें नई तकनीकें अपनाने और खेती में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करते हैं।

यह विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम महिला किसानों को सशक्त बनाने और कृषि में उनकी भूमिका को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। आईएआरआई का यह प्रयास भविष्य में भी महिला किसानों की उन्नति और आत्मनिर्भरता के लिए जारी रहेगा।

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