वैश्विक तौर पर कृषि सुधार और अनुसंधान काफी अहम है। जलवायु परिवर्तन के सामने खाद्य सुरक्षा, को स्थिर रखना महत्वपूर्ण हैं। सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और अनुसंधान संस्थान नवीन कृषि तकनीकों को विकसित करने, फसल की पैदावार में सुधार करने और सटीक कृषि, को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करते हैं।
इन प्रयासों का उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाना, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और दुनिया भर में बढ़ती आबादी के लिए भोजन की पहुंच सुनिश्चित करना है। मुख्यरुप से जल प्रबंधन, मिट्टी के स्वास्थ्य, फसल प्रजनन, कीट और रोग नियंत्रण में सुधार और सटीक खेती के लिए ड्रोन, सेंसर और एआई (AI) जैसी तकनीक का लाभ उठाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, छोटे किसानों के साथ साथ, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और समावेशी कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को लागू किया जा रहा है।
भारत में कृषि सुधारों का उद्देश्य इस क्षेत्र का आधुनिकीकरण, किसानों की आय में वृद्धि और दक्षता में सुधार करना है। कृषि कानूनों में बदलाव, बुनियादी ढांचे का विकास और प्रौद्योगिकी को अपनाना शामिल है। निर्यात के संबंध में, भारत चावल, गेहूं, मसाले, फल और सब्जियों जैसे विभिन्न कृषि उत्पादों का निर्यात करता है। सरकार बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, व्यापार बाधाओं को कम करने और कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन का काम कर रही है।
भारतीय कृषि क्षेत्र प्रौद्योगिकी को अपनाने, स्थायी प्रथाओं और उच्च मूल्य वाली फसलों में विविधीकरण के साथ नए आयामों का अनुभव कर रहा है। किसान संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने और पैदावार में सुधार करने के लिए सटीक कृषि तकनीकों, ड्रोन (DRONE) और आईओटी (IT) उपकरणों का तेजी से उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, जैविक खेती और कृषि वानिकी से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।
हालांकि, किसानों की स्थिति छोटी जोत, पानी की कमी, बाजार में अस्थिरता और कर्ज के बोझ जैसे मुद्दों के साथ एक चिंता चिंताजनक बनी हुई है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, पीएम-किसान (प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि) जैसी पहल किसानों को प्रत्यक्ष रुप से आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जबकि फसल बीमा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास की योजनाओं का उद्देश्य उत्पादकता को बढ़ाना है। फिर भी, किसानों की समग्र भलाई सुनिश्चित करने के लिए और अधिक व्यापक सुधारों की आवश्यकता है
विश्व स्तर पर सरकारी नीतियां, बाज़ार तक पहुंच और भूमि स्वामित्व संरचनाएं की वजह कृषि पद्धतियों जैसे कारकों के आधार पर किसानें की आय में काफी भिन्नता होती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देशों और पश्चिमी यूरोप के देशों में, किसानों की आम तौर पर उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाने, बड़ी भूमि जोत बाजारों और सब्सिडी तक बेहतर पहुंच के कारण उच्च आय होती है।
इसके विपरीत, भारत सहित कई विकासशील देशों में, किसानों को अक्सर खंडित भूमि, ऋण और बाजारों तक सीमित पहुंच, कम उत्पादकता और मूल्य अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, भारत में किसानों की औसत आय अन्य क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
भारत सरकार ने इन मुद्दों को हल करने और किसानों की आय में सुधार के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं लागू किया है, इनमें पीएम-किसान,सहायता योजनाएं, निवेश के लिए सब्सिडी, फसल बीमा और बुनियादी ढांचे का विकास करना शामिल हैं।
भारत सरकार ने “किसानों की आय दोगुनी करने (डी. एफ. आई.)” से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए अप्रैल 2016 में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था। समिति ने सितंबर 2018 में सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी जिसमें विभिन्न नीतियों, सुधारों और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की सिफारिशें थीं। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समिति ने आय वृद्धि के निम्नलिखित सात स्रोतों को बताया-
1.फसल की उत्पादकता में वृद्धि
2.पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि
3.संसाधन उपयोग दक्षता-उत्पादन लागत में कमी
4.फसल की तीव्रता में वृद्धि
5.उच्च मूल्य की कृषि में विविधीकरण
6.किसानों की उपज पर लाभकारी मूल्य
7.अतिरिक्त श्रम शक्ति का कृषि से गैर-कृषि व्यवसायों में स्थानांतरण
भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बजट आवंटन में काफी वृद्धि की है 2013-14 के दौरान 27,662.67 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 के लिए 27,662.67 करोड़ रुपये कर दिया है। 2023-24 के दौरान 1,25,035.79 करोड़ रुपये का 2024-25 में कृषि मंत्रालय को 1,32,470 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सरकार ने निम्नलिखित प्रयासों को सुगम बनाने के लिए बेहतर बजटीय प्रावधान किए हैं। भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम किसानों के कल्याण के लिए हैं, जिनमें उत्पादन में वृद्धि, लाभकारी रिटर्न और किसानों को आय सहायता शामिल हैं प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से किसानों को आय में सहायता किसान प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण. उत्पादन लागत के डेढ़ गुना पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना
देश जैविक खेती को बढ़ावा देना अधिक फसल सूक्ष्म सिंचाई कोष. किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देना (FPOs) राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM)
कृषि मशीनीकरण किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने वाली नमो ड्रोन दीदी
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) विस्तार मंच की स्थापना
खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन-ऑयल पाम (एन. एम. ई. ओ.-ओ. पी.) कृषि अवसंरचना कोष का शुभारंभ (AIF) कृषि उपज लॉजिस्टिक्स में सुधार, बागवानी के एकीकृत विकास के लिए किसान रेल मिशन की शुरूआत-क्लस्टर विकास कार्यक्रम
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में एक स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कृषि और संबद्ध कृषि वस्तुओं के निर्यात में उपलब्धि
इन योजनाओं के कार्यान्वयन से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक पुस्तक जारी की है, जिसमें असंख्य सफल किसानों में से 75,000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन है, जिन्होंने अपनी आय दोगुनी से अधिक बढ़ाई है।
पशुपालन और सहकारिता विभाग द्वारा निम्नलिखित योजनाएँ चलाई जा रही हैं किसानों की आय बढ़ाने के लिए डेयरी और पशुपालन को बढ़ावा देना: पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम बुनियादी ढांचा विकास निधि सहकारिता के माध्यम से डेयरी (ईएपी) डेयरी विकास राष्ट्रीय गोकुल मिशन पशुधन जनगणना और आईएसएस राष्ट्रीय पशुधन मिशन वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उपरोक्त योजनाओं के लिए सरकार द्वारा आवंटित धनराशि 4095.64 करोड़ रुपये है और आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 में आवंटित करने के लिए प्रस्तावित धनराशि 4210 करोड़ रुपये है। हालांकि, भारतीय किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने और वैश्विक संदर्भ में उनकी आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। भारत और अन्य देशों में कृषि सुधारों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा रहा है। नई तकनीकों, सरकारी योजनाओं और वैश्विक सहयोग के माध्यम से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं, जो भविष्य में खाद्य उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि को सुनिश्चित करेंगे।
आलोक रंजन