भारत-मालदीव सहयोग से समुद्र में समृद्धि की नई लहर!

भारत-मालदीव मत्स्यपालन समझौता: समुद्री सहयोग को मिली नई दिशा!

भारत-मालदीव के बीच मत्स्यपालन और जलीय कृषि क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता, सतत विकास और समुद्री संसाधनों के संरक्षण को मिलेगा बल

दिल्ली/माले भारत और मालदीव के बीच समुद्री संसाधनों के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग और मालदीव के मत्स्यपालन एवं महासागर संसाधन मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान, 25 जुलाई 2025 को दोनों देशों के बीच हुए छह आपसी समझौतों में से एक है।

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य मत्स्यपालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में सहयोग को प्रोत्साहित करना है, जिससे क्षेत्रीय विकास, सतत संसाधन प्रबंधन, वैज्ञानिक नवाचार, और रोजगार सृजन को गति मिल सके।

साझेदारी के प्रमुख उद्देश्य

यह समझौता निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा

🔹 ट्यूना और गहरे समुद्र में मत्स्यपालन को प्रोत्साहन

दोनों देश ट्यूना जैसे समुद्री उत्पादों के स्थायी और व्यावसायिक दोहन के लिए साझेदारी करेंगे। इससे समुद्री जैव विविधता की रक्षा करते हुए आर्थिक लाभ अर्जित किया जा सकेगा।

🔹 जलीय कृषि एवं संसाधन प्रबंधन का सुदृढ़ीकरण

Photo:symbolic

मालदीव को जलीय कृषि में हैचरी विकास, उन्नत उत्पादन तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों के विविधीकरण में भारत का सहयोग मिलेगा। साथ ही, कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण जैसे अवसंरचना क्षेत्रों में भी निवेश की संभावना तलाशी जाएगी।

🔹 पर्यावरणीय संतुलन और पारिस्थितिक पर्यटन को बल

पारिस्थितिकी पर आधारित पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा देकर दोनों देश टिकाऊ मत्स्यपालन और स्थानीय आजीविका के लिए नए अवसर सृजित करेंगे।

🔹 वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार

उन्नत मत्स्य पालन पद्धतियों, डेटा प्रबंधन, प्रौद्योगिकी विकास और अनुसंधान में सहयोग से क्षेत्र को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत किया जाएगा।

प्रशिक्षण और क्षमता विकास पर विशेष ज़ोर

यह समझौता भारत और मालदीव के बीच तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान और मानव संसाधन विकास को भी सुनिश्चित करेगा।

🔸 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मुख्य रूप से शामिल होंगे

जलीय पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा परीक्षण

जलीय कृषि फार्म का प्रबंधन

रेफ्रिजरेशन तकनीक और यांत्रिक/समुद्री अभियांत्रिकी

उन्नत मत्स्य पालन उपकरणों का संचालन

इन कार्यक्रमों का उद्देश्य स्थानीय युवाओं और पेशेवरों को प्रशिक्षित कर दीर्घकालिक कौशल विकास को बढ़ावा देना है।

भारत-मालदीव साझेदारी: ‘ब्लू इकॉनॉमी’ की दिशा में एक मजबूत कदम

भारत और मालदीव का यह साझा प्रयास हिंद महासागर क्षेत्र में ब्लू इकॉनॉमी को मजबूती प्रदान करेगा। इससे न केवल दोनों देशों की आर्थिक संभावनाएं सशक्त होंगी, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

यह समझौता भारत की “नेबरहुड फर्स्ट नीति” और मालदीव की समुद्री समृद्धि रणनीति के तहत एक रणनीतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है।

सारांश

भारत और मालदीव के बीच हुआ यह समझौता ज्ञापन, मत्स्यपालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में तकनीकी, व्यावसायिक और वैज्ञानिक सहयोग को नई दिशा देगा। इससे न केवल समुद्री संसाधनों के स्थायी उपयोग को बल मिलेगा, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों में भी एक नया अध्याय जुड़ेगा।

photo courtesy: Department of Fisheries and symbolic 

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