चीनी मिलों में पारदर्शिता बढ़ेगी, अध्यासी होंगे पूरी तरह जिम्मेदार
📍 लखनऊ, उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को समय पर गन्ना मूल्य का भुगतान दिलाने तथा प्रदेश की संचालित चीनी मिलों में अनुशासित और पारदर्शी कार्यप्रणाली स्थापित करने के उद्देश्य से प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने एक अहम निर्णय लिया है। इसके तहत चीनी मिलों के अध्यासी नामांकन की प्रक्रिया को सुस्पष्ट, कानूनी रूप से मजबूत और एकरूप बनाया जाएगा।
इस संबंध में गन्ना आयुक्त द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति तथा खरीद विनियमन) अधिनियम, 1953, इसके अंतर्गत बनाए गए नियम, 1954 एवं गन्ना पूर्ति आदेश, 1954 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि अब प्रत्येक अध्यासी के नामांकन में स्पष्ट नियमों का अनुपालन आवश्यक होगा, जिससे किसान, प्रशासन और मिल प्रबंधन के बीच जवाबदेही तय हो सके।
नामांकन प्रक्रिया में बदलाव: अब होगा सख्त अनुपालन
गन्ना आयुक्त ने स्पष्ट किया कि अब तक विभिन्न चीनी मिलों द्वारा अध्यासी के नामांकन में एकरूपता नहीं बरती जाती थी, जिससे कानूनी और प्रशासनिक कठिनाइयां उत्पन्न होती थीं। समय पर गन्ना मूल्य भुगतान में बाधा आती थी, जिससे किसानों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ता था।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार:
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अध्यासी का नामांकन केवल तभी किया जाएगा, जब मिल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का प्रमाणित प्रस्ताव और कंपनी सचिव (CS) का विधिक प्रमाणीकरण उपलब्ध होगा।
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इसके पश्चात संबंधित गन्ना निरीक्षक और सहायक चीनी आयुक्त उस प्रस्ताव की विधिवत जांच करेंगे।
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जिला गन्ना अधिकारी से चर्चा के बाद प्रस्ताव जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
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जिलाधिकारी की स्वीकृति के बाद ही अध्यासी का विधिक नामांकन किया जा सकेगा।
₹1 लाख की जमानत राशि अनिवार्य
नए निर्देशों के तहत प्रत्येक अध्यासी को ₹1,00,000 की जमानत राशि सरकारी प्रतिभूति या डाकघर में जमा करनी अनिवार्य होगी। इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अध्यासी अपने उत्तरदायित्व से बच न सके। यह राशि एक प्रकार की सुरक्षा गारंटी होगी जो किसानों के हितों की रक्षा में सहायक बनेगी।
अध्यासी की उत्तरदायित्व तय
गन्ना आयुक्त ने कहा कि अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, अध्यासी को अब मिल संचालन, गन्ना खरीद तथा गन्ना मूल्य भुगतान के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी माना जाएगा। जब तक अध्यासी के नामांकन के निरसन की विधिक सूचना जिलाधिकारी को प्राप्त नहीं होती, तब तक वह अधिकृत अध्यासी के रूप में कार्य करता रहेगा।
उन्होंने दो टूक कहा कि अब अध्यासी “मैं अधिकृत नहीं हूं” जैसे बहाने नहीं बना सकेंगे। जो भी व्यक्ति अध्यासी के रूप में नामांकित होगा, उसे चीनी मिल के संचालन और गन्ना किसानों को भुगतान सुनिश्चित करने की पूर्ण जिम्मेदारी लेनी होगी।
किसानों को होगा सीधा लाभ
यह निर्णय उत्तर प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों के लिए राहत भरी खबर है। अब अध्यासी की जवाबदेही स्पष्ट होने से गन्ना मूल्य भुगतान में विलंब की संभावना कम होगी। किसान समय पर भुगतान प्राप्त कर सकेंगे और मिलों के संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन आवश्यक
गन्ना आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों एवं संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि अध्यासी नामांकन आदेश निर्गत करते समय कानूनी प्रावधानों का पूर्णतः अनुपालन किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्रभाव और निष्कर्ष
इस निर्णय से जहां एक ओर चीनी मिलों की कार्यप्रणाली सुदृढ़ होगी, वहीं दूसरी ओर किसानों को समय पर भुगतान और उनके अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। अध्यासी अब महज नाममात्र की औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जवाबदेह पद होगा।