मथुरा में 30,000 किसानों से संवाद के साथ विकसित कृषि संकल्प अभियान का सफल समापन
मथुरा— केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के प्रथम चरण का सफलतापूर्वक समापन हो गया। यह अभियान कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, नवाचार और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत देशभर में वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सीधा संवाद स्थापित कर आधुनिक कृषि पद्धतियों को गांव-गांव तक पहुंचाया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने कहा कि,
> “कृषि भारत की रीढ़ है और हमारे किसान उसकी धड़कन। आज जब देश ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है, तब यह आवश्यक है कि हमारी कृषि और पशुपालन पद्धतियाँ वैज्ञानिक, टिकाऊ और लाभकारी बनें। विकसित कृषि संकल्प अभियान का यह चरण खरीफ फसल की तैयारी पर केंद्रित था।”
डॉ. चेटली ने आगे कहा कि इस राष्ट्रीय अभियान की परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में की गई, जिनका सदैव किसान-हितैषी दृष्टिकोण रहा है। अभियान के अंतर्गत देश के 700 से अधिक जिलों में 2,170 वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद किया।
मथुरा और हाथरस में प्रभावी क्रियान्वयन
मथुरा और हाथरस जिलों में केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम की अगुवाई में इस अभियान को बेहद प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया गया। दोनों जिलों के 270 गाँवों में वैज्ञानिकों की टीमों ने जाकर किसानों से सीधे संवाद किया और उन्हें कृषि एवं पशुपालन से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी।
संस्थान के 18 वैज्ञानिकों, 6 तकनीकी अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों ने मिलकर 30,000 से अधिक किसानों से संपर्क स्थापित किया। इस दौरान किसानों की समस्याएँ सुनने के साथ-साथ उनके समाधान भी प्रस्तुत किए गए। टीमों में शामिल वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के लिए भी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्र कीं।
टीम के नेतृत्व में मथुरा जिले की टीम के प्रभारी डॉ. अनुपम कृष्ण दीक्षित और हाथरस जिले की टीम के प्रभारी डॉ. खुश्याल सिंह ने अहम भूमिका निभाई।
अनेक विभागों व संस्थानों की सहभागिता
इस अभियान में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) मथुरा और हाथरस, राज्य कृषि विभाग, प्रगतिशील किसान, स्थानीय बैंक अधिकारी, एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की अटारी, कानपुर इकाई का सक्रिय सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (नई दिल्ली) के उप महानिदेशक द्वारा भी अभियान में सहभागिता निभाई गई।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों की समस्याओं का ऑनलाइन पंजीकरण कर त्वरित समाधान के प्रयास किए गए। किसानों को योजना से अधिकाधिक लाभ दिलाने हेतु वैज्ञानिकों ने हरसंभव सहयोग प्रदान किया।
हेमा मालिनी का प्रेरक संदेश और उत्पाद विमोचन
इस अवसर पर मथुरा की सांसद एवं सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी, जो संस्थान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं, ने किसानों को इस अभियान से जुड़ने की अपील की। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित बकरी के दूध और व्हे से बने प्राकृतिक साबुन का भी विधिवत विमोचन किया।
विषयगत प्रशिक्षण एवं प्रसार
अभियान के अंतर्गत कृषि तकनीक, बकरी पालन, जैविक एवं प्राकृतिक खेती, ग्रामीण विकास योजनाएँ, वाणिज्यिक कृषि, आदि विषयों पर प्रशिक्षण सत्र एवं चर्चाएँ आयोजित की गईं। किसानों को स्थानीय भाषा में तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई गई और प्रशिक्षण सामग्रियाँ वितरित की गईं।
इस आयोजन का प्रसारण दूरदर्शन मथुरा चैनल पर भी किया गया ताकि वे किसान जो मौके पर नहीं पहुँच पाए, वे भी लाभान्वित हो सकें। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
सारांश:
“विकसित कृषि संकल्प अभियान” का यह प्रथम चरण मथुरा और हाथरस में अत्यंत सफल रहा। इसने किसानों में जागरूकता बढ़ाने, वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने और आधुनिक कृषि व पशुपालन तकनीकों को जमीनी स्तर तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई। यह अभियान भविष्य में आत्मनिर्भर कृषि और समृद्ध किसान के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम सिद्ध हो सकता है।