गुड़ उद्योग को मिलेगा नया आयाम: पूसा में बनेगा देश का पहला एक्सीलेंस सेंटर!

गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी,आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

गुड़ उद्योग को मिलेगा नया आयाम, पूसा में खुलेगी देश की पहली एडवांस जैगरी प्रोडक्शन यूनिट
समस्तीपुर से आशुतोष शुक्ल: विशेष रिपोर्ट

समस्तीपुर, बिहार। गन्ना किसानों और उद्यमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान (Sugarcane Research Institute) में जल्द ही देश की पहली “एडवांस जैगरी प्रोडक्शन एंड वैल्यू एडेड प्रोडक्ट यूनिट स्थापित की जाएगी। यह यूनिट “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर जैगरी प्रोडक्शन एंड वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स” के रूप में विकसित की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए बिहार सरकार द्वारा बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है।

यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में नवाचार और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीन गन्ना अनुसंधान संस्थान में शुरू होने वाला यह सेंटर किसानों को न सिर्फ उन्नत तकनीकों से अवगत कराएगा बल्कि उन्हें गुड़ और उससे जुड़े उत्पादों के क्षेत्र में उद्यमिता के लिए भी प्रशिक्षित करेगा।

आधुनिक तकनीक से होगा पारंपरिक गुड़ का कायाकल्प

डा. देवेंद्र सिंह

संस्थान के निदेशक डा. देवेंद्र सिंह ने Krishi Times से बातचीत में बताया कि यह सेंटर पारंपरिक गुड़ निर्माण पद्धति को वैज्ञानिक आधार पर आधुनिक तकनीकों से जोड़ने का कार्य करेगा। इसके तहत गुड़, राब, शीरा, गन्ना जूस से बने विभिन्न उत्पादों और अन्य वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स का विकास किया जाएगा। इसके अलावा, किसानों और उद्यमियों को इन उत्पादों के निर्माण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन की समुचित जानकारी व प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

डा. सिंह ने बताया कि “यह पहल बिहार सहित पूरे देश के गन्ना उत्पादक किसानों के लिए एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। इससे उन्हें पारंपरिक फसल से जुड़कर आधुनिक बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद बनाने में मदद मिलेगी। इसका असर किसानों की आमदनी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों पर सकारात्मक रूप से पड़ेगा।”

बढ़ेगा रोजगार, खुलेगा नया बाजार

चित्र: प्रतीकात्मक

विशेषज्ञों के अनुसार, यह यूनिट एक ओर जहां गन्ना किसानों को बेहतर विकल्प और उत्पाद की विविधता प्रदान करेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। जैगरी आधारित इन उत्पादों की ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत के पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी।

डा. देवेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि, “देश में गुड़ उत्पादन कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब तक यह अधिकतर कुटीर उद्योग के रूप में ही सीमित रहा है। इस केंद्र के माध्यम से हम इसे एक संगठित और वैज्ञानिक स्तर पर विकसित करना चाहते हैं, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता के साथ-साथ उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता भी बढ़े।”

अनुसंधान, प्रशिक्षण और नवाचार का केंद्र

यह सेंटर न केवल उत्पादन का स्थान होगा, बल्कि यह शोध और नवाचार के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यहां पर नई किस्मों के बीज, उत्पादन तकनीक, वैल्यू एडेड उत्पादों की श्रेणियों का विकास और मानकीकरण पर भी कार्य होगा। इससे जैगरी उद्योग को स्थायित्व और तकनीकी मजबूती मिलेगी।

देशभर के प्रमुख गन्ना अनुसंधान संस्थान

  • भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

  • गन्ना शोध संस्थान, शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

  • सुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टिट्यूट, कोयम्बटूर (तमिलनाडु)

  • वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI), पुणे (महाराष्ट्र)

अब इन संस्थानों की सूची में पूसा का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एक नया और आधुनिक नाम बनकर उभरेगा। यह पहल न केवल बिहार को जैगरी उद्योग में अग्रणी बनाएगी, बल्कि पूरे भारत को वैश्विक जैगरी मार्केट में एक मज़बूत पहचान दिलाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

सारांश यह यूनिट कृषि क्षेत्र में मूल्य वर्धन (Value Addition) के लिए एक आदर्श उदाहरण बनेगी, जो किसानों को परंपरा से जोड़ते हुए तकनीक की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर देगी। जैगरी के क्षेत्र में भारत के भविष्य को नया आयाम देने वाली यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक अहम कड़ी साबित होगी।

चित्र: प्रतीकात्मक

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