BRICS कृषि बैठक 2025: भारत का सतत, समावेशी और तकनीकी कृषि मॉडल

जलवायु संकट में टिकाऊ कृषि मॉडल की वकालत

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छोटे किसानों, जलवायु परिवर्तन, महिला सशक्तिकरण और वैश्विक सहयोग को बनाया अपनी प्राथमिकता का केंद्र

भारत ने BRICS देशों के कृषि मंत्रियों की 15वीं बैठक के दौरान वैश्विक खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और छोटे किसानों के कल्याण के लिए अपने संकल्प को फिर से दोहराया। इस बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देश के कृषि मॉडल, नवाचारों, और समावेशी विकास की दिशा में उठाए गए कदमों को विस्तार से प्रस्तुत किया।

कृषि भारत के लिए सिर्फ आजीविका नहीं, बल्कि संस्कृति और गरिमा का आधार

अपने उद्घाटन भाषण में चौहान ने कहा, “कृषि भारत के लिए केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए आजीविका, भोजन और गरिमा का स्रोत है।” उन्होंने कहा कि भारत के लिए किसानों का कल्याण सामाजिक न्याय का मुद्दा है, और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान, जो देश के कृषि परिदृश्य का मूल आधार हैं, उन्हें केंद्र में रखकर नीतियाँ बनाई जा रही हैं।

उन्होंने आगाह किया कि यदि इन किसानों को जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की सीमित उपलब्धता और वैश्विक मूल्य अस्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त सहयोग और समर्थन नहीं दिया गया, तो वैश्विक खाद्य प्रणाली का संतुलन बिगड़ सकता है।

छोटे किसानों की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष ज़ोर

भारत ने BRICS देशों से अपील की कि वे मिलकर छोटे किसानों को एकजुट करने वाले, स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप टिकाऊ समाधान खोजें। इस संदर्भ में चौहान ने क्लस्टर आधारित खेती, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन), सहकारी मॉडल, और प्राकृतिक खेती जैसे भारतीय उपायों को साझा करते हुए कहा कि ये उपाय न केवल किसानों की आय बढ़ाते हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति में भी सुधार लाते हैं।

उन्होंने कहा, “भारत छोटे किसानों को सिर्फ उत्पादन में नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग, भंडारण और विपणन के प्रत्येक चरण में सहभागी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

खाद्य सुरक्षा में भारत की भूमिका – COVID काल का उदाहरण

चौहान ने COVID-19 महामारी के दौरान भारत की सार्वजनिक खाद्य भंडारण क्षमता को एक वैश्विक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने उस कठिन समय में 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया, और यह मॉडल सार्वजनिक खाद्य वितरण की दक्षता और समावेशन का प्रतीक बना।

इस अवसर पर उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और स्थानीय मूल्य श्रृंखलाओं की मजबूती को छोटे किसानों के लिए आवश्यक बताया।

डिजिटल और तकनीकी नवाचार – पारदर्शिता और आय वृद्धि का मार्ग

भारत ने कृषि में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। चौहान ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, एग्री-स्टैक, ड्रोन तकनीक, और क्लाइमेट रेजिलिएंट विलेजेज जैसे नवाचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने किसानों तक योजनाओं की सुलभता, पारदर्शिता, और प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित किए हैं।

उन्होंने ‘ड्रोन दीदी’ और ‘लखपति दीदी’ जैसी पहलों का भी उल्लेख किया, जो ग्रामीण महिलाओं को तकनीक, उद्यमिता और कृषि में नए अवसर प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा, “भारत के लिए महिला सशक्तिकरण एक मिशन है, न कि मात्र एक योजना।

जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी – भारत के समाधान

बैठक के दौरान जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की प्रतिक्रिया व्यापक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भरी थी। श्री चौहान ने कहा कि जलवायु संकट केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और मानवाधिकार का संकट भी है। इस संदर्भ में उन्होंने भारत की जलवायु केंद्रित पहलों –

  • NMSA (National Mission for Sustainable Agriculture)

  • NICRA (National Innovations on Climate Resilient Agriculture)

  • वेस्ट टू वेल्थ,

  • सर्कुलर इकोनॉमी,

  • जैव उर्वरक और

  • पारंपरिक जैविक खेती
    का उल्लेख किया।

भूमि संरक्षण के लिए “BRICS लैंड रिस्टोरेशन पार्टनरशिप” का शुभारंभ

बैठक की एक प्रमुख उपलब्धि “BRICS लैंड रिस्टोरेशन पार्टनरशिप” की घोषणा रही। इस साझेदारी का उद्देश्य है – भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और मिट्टी की उर्वरता में कमी से मुकाबला करना। भारत ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि यह न केवल वैज्ञानिक नवाचारों को बढ़ावा देगी, बल्कि पारंपरिक कृषि ज्ञान और समुदाय आधारित समाधानों को भी वैश्विक मंच पर स्थान देगी।

वैश्विक सहयोग के लिए आमंत्रण – भारत का नेतृत्वकारी दृष्टिकोण

चौहान ने BRICS देशों को आगामी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों –

  • ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’

  • ‘वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंटरटेनमेंट समिट 2025’
    में भाग लेने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि ये आयोजन वैश्विक नवाचार, व्यापारिक साझेदारी और तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाने का मंच बन सकते हैं।

ब्रिक्स घोषणा पत्र – साझा संकल्प

बैठक के अंत में पारित BRICS कृषि घोषणा पत्र में निम्न बिंदुओं को शामिल किया गया:

  • वैश्विक खाद्य प्रणाली को न्यायसंगत और टिकाऊ बनाना

  • जलवायु अनुकूलन और शमन

  • महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण

  • सतत मत्स्य पालन और पशुधन विकास

  • मिट्टी एवं भूमि पुनर्स्थापन

  • डिजिटल प्रमाणीकरण और स्मार्ट कृषि

  • वैश्विक दक्षिण की कृषि अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय समर्थन

समापन – भारत का शाश्वत संदेश

बैठक का समापन करते हुए केंद्रीय मंत्री ने भारत के वैदिक मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा,
“सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।”
(सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी का कल्याण हो, किसी को भी दुख न हो।)

भारत का यह दृष्टिकोण न केवल उसकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की पुष्टि करता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी नेतृत्वकारी भूमिका को भी सशक्त करता है।

यह भी पढ़ें..

ब्राजील की मैकेनाइज्ड फार्मिंग से भारत को मिलेगा फायदा!

Leave a Comment