फसल सुधार में डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन बनेगा गेमचेंजर!

ICRISAT ने डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन पर वैज्ञानिकों को दिया उन्नत प्रशिक्षण, जीनबैंक होंगे भविष्य-तैयार

ICRISAT organized a five-day hands-on training on Digital Sequence Information (DSI) at its Hyderabad headquarters from 8–12 December 2025 to strengthen global capacity for future-ready genebanks. The program trained 18 scientists from 12 countries across Asia and Africa in genomics, data analysis, and genebank integration. Conducted under the CGIAR Genebanks Accelerator, the initiative aims to accelerate crop improvement and enhance food and nutrition security through effective use of genetic resources.

हैदराबाद -अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने वैश्विक कृषि अनुसंधान को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन (DSI) के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईसीआरआईएसएटी ने एशिया और अफ्रीका के वैज्ञानिकों के लिए पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।

जीनोमिक्स और डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन की बढ़ती भूमिका

आधुनिक कृषि में जीनोमिक्स तेजी से एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। पौधों के डीएनए से प्राप्त डिजिटल डेटा, जिसे डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन (DSI) कहा जाता है, फसल आनुवंशिक संसाधनों तक बेहतर पहुंच और उनके अधिक कुशल उपयोग में सहायक बन रहा है। विशेष रूप से फसल प्रजनन कार्यक्रमों में इसके माध्यम से अधिक उत्पादक, जलवायु-सहिष्णु और पोषणयुक्त किस्मों का विकास संभव हो रहा है।

विकासशील देशों में क्षमता अंतर एक बड़ी चुनौती

हालांकि जीनोमिक डेटा की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कई विकासशील देशों की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियां अभी इन उन्नत तकनीकों के जिम्मेदार और प्रभावी उपयोग में सक्षम नहीं हैं। तकनीकी कौशल, अधोसंरचना और डेटा प्रबंधन क्षमता की कमी इस क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

ICRISAT के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला

इसी क्षमता अंतर को पाटने के लिए आईसीआरआईएसएटी ने AfricaRice तथा Alliance of Bioversity International और CIAT के सहयोग से हैदराबाद मुख्यालय में पांच दिवसीय व्यावहारिक DSI प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की। यह कार्यक्रम CGIAR Genebanks Accelerator के अंतर्गत वैश्विक क्षमता निर्माण श्रृंखला का हिस्सा रहा।

12 देशों के 18 वैज्ञानिकों को मिला व्यावहारिक प्रशिक्षण

कार्यशाला में एशिया और अफ्रीका के 12 देशों से आए 18 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन के प्रबंधन, विश्लेषण और जीनबैंक डेटाबेस में जीनोमिक डेटा के एकीकरण का गहन और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे वे अपने-अपने देशों में जीनोमिक्स आधारित फसल सुधार कार्यक्रमों को सशक्त बना सकें।

ICRISAT का अनुभव साझा करने पर जोर

आईसीआरआईएसएटी के उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा कि जीनबैंक प्रबंधन और जीनोमिक्स आधारित प्रजनन में आईसीआरआईएसएटी का दशकों का अनुभव है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पौध आनुवंशिक संसाधन संधि (ITPGRFA) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में आईसीआरआईएसएटी खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक प्रगति को व्यावहारिक लाभों में बदलने हेतु मानव संसाधन विकास को प्राथमिकता देता है।

जीनबैंकों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर जोर

CGIAR Genebank Accelerator के अंतर्गत AoW5 की अंतरिम प्रमुख और मोंटी जोन्स राइस बायोडाइवर्सिटी सेंटर फॉर अफ्रीका की प्रमुख डॉ. मैरी-नोएल न्जियोनजोप ने कहा कि जीनबैंकों के बीच बेहतर समन्वय अत्यंत आवश्यक है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय और वैश्विक अनुसंधान प्रणालियों को एक साझा मंच पर लाकर जीनोमिक उपकरणों के प्रभावी और समन्वित उपयोग को बढ़ावा देते हैं।

कम्युनिटी ऑफ प्रैक्टिस स्थापित करने पर सहमति

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने साझा प्रशिक्षण एजेंडा विकसित करने और नियमित संवाद बनाए रखने पर सहमति जताई। इसके तहत एशिया और अफ्रीका में क्षेत्रीय कम्युनिटी ऑफ प्रैक्टिस (CoP) की स्थापना की जाएगी, जिससे दीर्घकालिक सहकर्मी अधिगम और सहयोग सुनिश्चित हो सके।

प्रयोगशाला से खेत तक पूरी श्रृंखला का अनुभव

आईसीआरआईएसएटी और साझेदार संस्थानों के विशेषज्ञों ने व्याख्यान, चर्चाएं और प्रयोगशाला आधारित सत्र संचालित किए। प्रतिभागियों को डीएनए निष्कर्षण, हाई-थ्रूपुट जीनोटाइपिंग और एसएनपी डेटा विश्लेषण तक की पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण मिला। साथ ही उन्होंने जीनबैंक, स्पीड ब्रीडिंग सुविधा, प्लांट क्वारंटीन प्रयोगशाला, जलवायु परिवर्तन जीवविज्ञान सुविधा और अफ्लाटॉक्सिन प्रयोगशाला का भ्रमण कर फसल सुधार की संपूर्ण प्रक्रिया को नजदीक से समझा।

क्षेत्रीय सहयोग और दीर्घकालिक प्रभाव पर फोकस

आईसीआरआईएसएटी के कार्यवाहक वैश्विक अनुसंधान कार्यक्रम निदेशक (त्वरित फसल सुधार) एवं जीनबैंक प्रमुख डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ क्षेत्रीय सहयोग को भी मजबूती देगा, जिससे देशों की दीर्घकालिक क्षमता सुदृढ़ होगी।

NARS चैंपियंस की पहचान

कार्यक्रम के समापन पर माली के Institut d’Economie Rurale से डॉ. जीन सांगारे और भारत के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से डॉ. पुनीत जीएम को राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) चैंपियन के रूप में चुना गया। ये दोनों वैज्ञानिक एशिया और अफ्रीका में CoP का सह-नेतृत्व करेंगे।

DSI से किसानों तक तेज़ लाभ पहुंचाने की दिशा

आईसीआरआईएसएटी की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. डामारिस ओडेनी ने बताया कि DSI के माध्यम से प्रजनक उपयोगी लक्षणों की पहचान बिना बार-बार भौतिक जर्मप्लाज्म तक पहुंचे कर सकते हैं। इससे समय और लागत की बचत होती है और फसल सुधार के लाभ तेजी से किसानों तक पहुंचते हैं।

वैज्ञानिक नैतिकता पर संदेश

समापन समारोह में आईसीआरआईएसएटी के पूर्व जीनबैंक प्रमुख डॉ. हरि उपाध्याय ने वैज्ञानिक अनुसंधान में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि टिकाऊ और सार्थक विज्ञान वही है, जो मजबूत नैतिक आधार पर खड़ा हो।

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