गन्ने की सूखी पत्ती खेत में मिलाएं, उपज बढ़ाएं!

खेत में ही गन्ने की सूखी पत्तियों का डी-कम्पोज़ करना सबसे लाभकारी, प्रदूषण पर रोक और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि—गन्ना विकास विभाग

लखनऊ- गन्ना विकास विभाग ने गन्ने की सूखी पत्तियोंफसल अवशेषों को खेत में ही डी-कम्पोज किए जाने को किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया है। विभाग का कहना है कि खेत में पत्तियों को सड़ने देने से जहां पर्यावरण सुरक्षित रहता है, वहीं मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता भी बढ़ती है। इसी को देखते हुए विभाग ने प्रदेश के सभी गन्ना उत्पादक जिलों में जागरूकता अभियान तेज करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

सूखी पत्तियों को जलाना पर्यावरण और मिट्टी दोनों के लिए नुकसानदेह

गन्ना विकास विभाग ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि गन्ना कटाई के बाद खेत में बची सूखी पत्तियों को जलाना बेहद हानिकारक है। इससे न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं।
विभागीय विशेषज्ञों का कहना है कि पत्तियां जलाने से मिट्टी की ऊपरी परत में मौजूद जैविक तत्व और लाभकारी जीवाणु समाप्त हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कमजोर पड़ती है।

ट्रैश मल्चर और एम.वी. प्लाऊ से होगा बेहतर अवशेष प्रबंधन

किसानों को सलाह दी गई है कि सूखी पत्तियों और फसल अवशेषों को जलाने के बजाय गन्ना समितियों में उपलब्ध ट्रैश मल्चर और एम.वी. प्लाऊ का प्रयोग करें। इन मशीनों की मदद से पत्तियां खेत में ही बारीक होकर मिट्टी में मिल जाती हैं, जो बाद में प्राकृतिक खाद का रूप ले लेती हैं।
विभाग के अनुसार, यह प्रक्रिया फसल अवशेष प्रबंधन का सबसे प्रभावी तरीका है, जिससे खेत की मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है और आगे की फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है।

ट्रैश मल्चिंग से बढ़ती है पैदावार

अध्ययनों और विभागीय आंकड़ों के अनुसार, गन्ने की सूखी पत्तियों से की गई ट्रैश मल्चिंग न केवल खेत की नमी बनाए रखती है, बल्कि गन्ने की उपज भी बढ़ाती है।
पत्तियों की परत मिट्टी को ढककर रखती है जिससे भूमि की सतह गर्मी और धूप से सुरक्षित रहती है। इसके अलावा, यह मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाती है, जो दीर्घकाल में बेहतर पैदावार का आधार बनता है।

किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान तेज

गन्ना आयुक्त कार्यालय से जारी निर्देशों में कहा गया है कि कृषक गोष्ठियों, कृषक मेलों, पंपलेट वितरण, वॉल पेंटिंग और समाचार पत्रों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के महत्व से अवगत कराया जाए।
इसके साथ ही फ़ार्म मशीनरी बैंकों के सहयोग से रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (RMD), ट्रैश मल्चर और एम.वी. प्लाऊ किसानों को उपलब्ध कराए जाएं, ताकि अधिक से अधिक किसान इस तकनीक को अपना सकें।

इस वर्ष नहीं मिली पत्तियां जलाने की घटनाएं

विभागीय प्रयासों का सकारात्मक परिणाम यह है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने की घटनाएं लगभग न के बराबर रही हैं। अभी तक किसी जिले से सूखी पत्तियां जलाने की घटना संज्ञान में नहीं आई है।
विभाग ने अधिकारियों और फील्ड कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में खेतों में पत्तियां जलाने की घटना न होने दी जाए और किसानों को वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए।

किसानों से अपील

गन्ना विकास विभाग ने गन्ना किसानों से अपील की है कि वे सूखी पत्तियों और फसल अवशेषों को बेकार न समझें। इन्हें खेत में मिलाकर प्राकृतिक खाद के रूप में उपयोग करें, जिससे मिट्टी की बनावट सुधरेगी, लागत घटेगी और पैदावार में वृद्धि होगी।

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