शिवराज सिंह का बड़ा ऐलान: बिना परीक्षण कोई बायोस्टिमुलेंट नहीं बिकेगा
नई दिल्ली, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कृषि भवन, नई दिल्ली में बायोस्टिमुलेंट (Bio Stimulant) की बिक्री को लेकर मंत्रालय एवं ICAR के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में उन्होंने किसानों के हितों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए स्पष्ट किया कि अब बायोस्टिमुलेंट की अनुमति केवल वैज्ञानिक परीक्षण के बाद ही दी जाएगी।
बैठक के दौरान चौहान ने अफसरों से दो टूक कहा कि किसानों के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि बायोस्टिमुलेंट की प्रभावशीलता की ICAR से वैज्ञानिक रूप से जांच करवाई जाए, ताकि यह तय किया जा सके कि यह उत्पाद किसानों के लिए वास्तव में उपयोगी है या नहीं।
किसान सर्वोपरि हैं, अफसर लापरवाही न करें” – शिवराज सिंह
चौहान ने कहा, “देश के भोले-भाले किसानों के साथ किसी भी हालत में अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। कुछ कंपनियां भ्रमित कर रही हैं, जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने अफसरों को चेताया कि लापरवाही और ढिलाई की कोई जगह नहीं है।
शिकायतों से सतर्क हुए मंत्री, फील्ड से मिली फीडबैक अहम
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान चौहान को किसानों से नकली खाद, बीज, उर्वरक और बायोस्टिमुलेंट को लेकर अनेक शिकायतें मिली थीं। उन्होंने कहा कि अब तकरीबन 30,000 से अधिक बायोस्टिमुलेंट उत्पादों को बिना किसी सख्त मूल्यांकन के बेचने की अनुमति दी जाती रही, जो गंभीर चिंता का विषय है। उनके हस्तक्षेप के बाद यह संख्या घटकर 650 उत्पादों तक सीमित रह गई है।
बायोस्टिमुलेंट के इतिहास, बिक्री, पंजीकरण और गुणवत्ता पर होगी पूरी समीक्षा
कृषि मंत्री ने बैठक में यह भी पूछा कि क्या कोई ठोस डेटा है जिससे पता चले कि बायोस्टिमुलेंट के उपयोग से फसल उत्पादन में कितना इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि बिना प्रमाण के हजारों उत्पादों को बाजार में लाना किसानों के साथ धोखा है।
वैज्ञानिक प्रमाणन जरूरी, दोषियों पर होगी कार्रवाई
चौहान ने अधिकारियों से कहा, “अब वही उत्पाद बाजार में बिकेंगे जो तकनीकी रूप से प्रमाणित हों और किसानों के हित में साबित हों। ICAR और वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की भलाई को प्राथमिकता दें।” उन्होंने सभी प्रक्रियाओं के लिए एसओपी तैयार करने के निर्देश भी दिए।
किसान हित सर्वोपरि, नियमों में सख्ती तय
केंद्रीय कृषि मंत्री का यह रुख साफ करता है कि अब बायोस्टिमुलेंट उद्योग को कड़ाई और पारदर्शिता के साथ संचालित किया जाएगा। बिना वैज्ञानिक आधार और परीक्षण के कोई भी उत्पाद बाजार में नहीं आ सकेगा, और किसानों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।